आज भी स्कूली बच्चों से कराई जा रही सरकारी विद्यालयों की सफाई
शहाबगंज। शहाबगंज ब्लाक के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था आज तक पटरी पर नहीं लौट पायी है। जबकि कोविड-19 संक्रमणकाल के बाद स्कूल खुले लम्बा समय हो चुका है। बावजूद इसके स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई व उन्हें मानक के अनुरूप गरमा-गर्म मिड-डे-मील का भोजन उपलब्ध कराने में भी ढिलाई बरती जा रही है। समय से शिक्षकों के स्कूल नहीं आने से उनका सीधा असर उनकी पढ़ाई पर पड़ रहा है, जिससे अभिभावक बच्चों की शिक्षा को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। ऐसे सवाल यह है आखिलर कैसे पढ़ेगा इंडिया और आगे बढ़ेगा इंडिया।
स्थलीय जांच में कम्पोजिट विद्यालय तियरा के कक्षाओं में 9 बजे के बाद भी ताला लटकता मिला,वही बच्चे परिसर में खेलते हुए मिले। कम्पोजिट विद्यालय उदयपुरा में सात अध्यापक नियुक्त है, जहां सहायक अध्यापक अमर बहादुर सिंह उपस्थित मिले। साथ ही कक्षा में स्कूली बच्चा खुद ही झाडू लगाता हुआ मिला। वहीं प्राथमिक विद्यालय सिंघरौल में भी सहायक अध्यापक मनोज कुमार, शिक्षामित्र भानूमति, ममता समय पर उपस्थित नहीं थी। वहीं लटांव, मचवल में मेन्यू के अनुसार खिचड़ी बना मिला। साथ ही रोटी और सब्जी भी रसोईया द्वारा बनता मिला। पूछताछ के दौरान रसोईयां ने अध्यापकों के लिए भोजन बनाने की बात कही। शिक्षकों की लापरवाही का खामियाजा परिषदीय विद्यालय के बच्चों को झेलना पड़ रहा है, जबकि एबीएसए प्रतिदिन विद्यालयों के निरीक्षण की बात कह रहे है। उसके बाद भी परिषदीय विद्यालयों में पठन-पाठन का माहौल नहीं तैयार हो पा रहा है। वजह साफ है कि इन विद्यालयों में तैनात सरकारी शिक्षक बच्चों के शिक्षा-दीक्षा के प्रति गंभीर नहीं नजर आ रहे है। इस सम्बन्ध में खंड शिक्षा अधिकारी शहाबगंज अरविंद यादव व बीएसए सत्येंद्र कुमार सिंह से टेलीफोनिक बातचीत का प्रयास किया गया, लेकिन दोनों ही अफसरों का फोन नहीं उठा।