रामलीलाः रावण की लंका में हनुमान ने लगाई आग

प्रभु श्रीराम ने हनुमान से जाना माता सीता का हाल

Young Writer, चहनियां। रामलीला समिति द्वारा रामलीला के लंका दहन प्रसंग का मंचन किया गया। मंचन में श्रीराम जी की सेना समुंद्र के किनारे पहुंच जाती है तो प्रभु श्रीराम हनुमान जी को रावण को अंतिम चेतावनी व सीता जी का हाल जानने के लिए भेजते हैं। जब हनुमान जी समुंद्र के ऊपर से जा रहे होते हैं तो आगे बढ़ने पर सुरसा हनुमान जी का रास्ता रोक लेती है। अनुनय विनय के बाद भी बात न बनने पर सुरसा के मुख का फैलाव 32 योजन होते ही हनुमान जी सूक्ष्म रूप धर प्रवेश कर, बाहर आ जाते हैं। सुरसा उनकी बुद्धि की प्रशंसा करने के साथ ही रामकाज पूर्ण करने का आशीर्वाद देती है।
हनुमान जी मच्छर रूप धारण कर लंका में प्रवेश करते ही सुरक्षा में तैनात लंकिनी उनका रास्ता रोकती है। उनके घूंसे के एक वार से लंकिनी मुख से खून उगल देती है। कुटिया से राम-राम की आवाज सुन हनुमान अंदर जाते हैं और सामने विभीषण को पाते हैं। ब्राह्मण वेष हनुमान का परिचय पाते ही विभीषण प्रणाम करते हैं और माता सीता का पता बताते हैं। अशोक वाटिका पहुंचे हनुमान सीता पर रावण द्वारा किए जा रहे अत्याचार से व्यथित हो जाते हैं। अशोक वाटिका उजाड़ने के बाद मेघनाद वहां पहुंचते हैं और हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारते हैं। इसके बाद मेघनाद ब्रह्मफांस का प्रयोग कर हनुमान जी को काबू कर रावण के दरबार में पेश करते हैं। दरबार में रावण व हनुमान के बीच संवाद होता है। इसी बीच क्रोध में रावण जब हनुमान पर तलवार से वार करने की कोशिश करता है तो विभीषण बीच में आकर रावण को समझाता है। रावण की आज्ञा से हनुमान की पूंछ को आग लगाने के बाद छोड़ दिया जाता है। हनुमान सारी अहंकारी रावण की लंका को आग लगा समुद्र पार करते हुए प्रभु श्रीराम के पास पहुंच जाते हैं।