चंदौली नगर के पहले चुनाव में नहीं था राजनीतिक दलों का दबाव व दखल
शमशाद अंसारी
Young Writer, चंदौली। अक्सर कोई न कोई चुनाव आते हैं और सत्ता परिवर्तन कर लौट जाते हैं। इनमें कुछ चुनाव ऐसे भी होते हैं जो लोगों की स्मृतियों में हमेशा के लिए रच-बस जाते हैं। ऐसे ही चुनावों में से एक है 1988 का चंदौली नगर पंचायत का प्रथम चुनाव। यह चुनाव चंदौली के लिए नए बदलाव का अध्याय लिख गया, जिसकी स्मृतियां आज भी लोगों में जिंदा है। हालांकि अधिकांश लोग जिन्होंने इस चुनाव के एक-एक पल को अपने आप में जीया था आज शायद वह खुद स्मृति शेष हो चुके हैं। यह चुनाव चंदौली की ग्रामीण जनता के लिए शहरीकरण की ओर बढ़ने का पहला कदम था। यह चुनाव सादगी, सद्भाव व सामाजिक ताने-बाने को मजबूती देने वाला चुनाव रहा। चंदौली का पहला चेयरमैन बनने के लिए एक दर्जन उम्मीदवारों ने अपनी उम्मीदवारी पेश की। उस दौर में प्रत्याशियों का चेहरा और उनका एकल व्यक्तित्व मतदाताओं पर अपनी छाप छोड़ने के लिए पर्याप्त था। नगर के दिग्गज नेता रहे दिवंगत लालता प्रसाद यादव को अपनी जीत अर्जित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।


नगर पंचायत चंदौली के चुनाव-1988 की बात करें तो लोगों की स्मृतियों से जो बातें और यादें छनकर बाहर आती है। उसके मुताबिक उस दौर के चुनावों में लोगों के व्यक्तित्व का सिक्का चलता था, यही वजह थी कि लोग 100-500 रुपये चुनावों में खर्च कर सभासद निर्वाचित हो जाया करते थे, वहीं चेयरमैन बनने वाले उम्मीदवारों को 1000-10 हजार से ज्यादा करने की जरूरत नहीं पड़ती थी। यह वह दौर था जब चुनावी बैनर पेंटर अपने हाथों से तैयार किया करते थे उस दौर में उनकी काफी खींच व पूछ हुआ करती थी। इस तरह प्रचार का माध्यम डोर-टू-डोर कैम्पेन होता था, जिसमें परिवार के मुखिया से मिलना ही सबसे मिलना होता था। नगर के लोग चुनावी वक्त में भी अपनी सामाजिकता, संस्कार व भाईचारे को इस कदर प्रस्तुत करते थे जिसे देखकर वास्तव में यह लगता था कि चुनाव लोकतंत्र का महापर्व है, जहां लोगों के विचारों, संस्कार और व्यक्तित्व का संगम हो रहा है। पहले नगर पंचायत का चुनावी परिणाम आया तो प्रत्याशियों के बीच कभी भी एक-दूसरे के प्रति किसी तरह का दुराव देखने को नहीं मिला। सभी नगर के विकास के राह में साथ-साथ कंधे से कंधा लगाए खड़े नजर आए। चेयरमैन रहे लालता प्रसाद यादव और उस वक्त 10 वार्डों से निर्वाचित सभासदों के बीच आपसी तालमेल इतना अच्छा रहा कि हर किसी ने इसे ‘चंदौली कुटुम्ब’ के नाम से पुकारा। ना तो किसी राजनीतिक दल का ऐसे चुनावों में कोई जोर था और ना ही किसी ने उसमें दखल की जरूरत ही महसूस की। नगर के लोगों ने नगर के विकास के लिए अपने-अपने सपनों के साथ अपनों के बीच गए और अपनों से हारे और अपनों ने ही उन्हें जिताया। चुनावी आंकड़ें केवल एक अंतर बताने के पर्याय बनकर रह गए कि किसने कौन-सा स्थान अर्जित किया। पास तो खैर खुद को सभी मान रहे थे।


उम्मीदवार का नाम चुनाव चिह्न प्राप्त मत
1. लालता प्रसाद यादव छाता 2900 लगभग
2. प्रेम नारायण साहू मछली 500 लगभग
3. बद्री विशाल – 1000 लगभग
4. कृष्णदत्त वर्मा उगता सूरज 800 लगभग
5. विक्रमा प्रसाद कुर्सी उपलब्ध नहीं
6. डा. शंकर सिंह घंटी उपलब्ध नहीं
7. छविनाथ मौर्या साइकिल उपलब्ध नहीं
8. बेचन दुबे – उपलब्ध नहीं
9. महेंद्र सिंह मुर्गा उपलब्ध नहीं
10. अलीम राईन फावड़ा-कुदाल उपलब्ध नहीं
11. सीताराम गुप्ता – उपलब्ध नहीं
12. राजेंद्र प्रसाद जायसवाल – उपलब्ध नहीं
गौरवशाली व ऐतिहासिक रहा प्रथम निर्वाचन
चंदौली। वर्ष 1988 में जब पहली बार चंदौली में नगर पंचायत के गठन के लिए चुनाव हुआ तो उस वक्त चंदौली नगर की सीमा के अंतर्गत 10 वार्ड आते थे। चेयरमैन निर्वाचित होने से पहले लालता प्रसाद यादव को अपने प्रतिद्वंदी प्रेम नारायण, कृष्णदत्त वर्मा, बेचन दुबे, डा.शंकर सिंह, राजेंद्र प्रसाद जायसवाल, छविनाथ मौर्य, विक्रमा प्रसाद, अलीम राईन, महेंद्र सिंह, बद्री विशाल, सीताराम गुप्ता को शिकस्त देकर जीत अर्जित करनी पड़ी थी। उस वक्त अधिकांशतः उम्मीदवार निर्दल थे यानी वह अपने आप में एक दल थे। इसके अलावा वार्डों में उस वक्त विश्वनाथ, सुदर्शन सिंह, विक्खी राम, शौकत, शेष बदन, नूर मोहम्मद, कौशल कुमार, जयराम, आफताब आलम, मुखराम यादव ने जीत दर्ज कर अपने-अपने वार्डों का प्रतिनिधित्व का गौरव अर्जित किया।


सकारात्मक विपक्ष की मौजूदगी में बेहतर रहा पहला कार्यकालः नूर मोहम्मद
चंदौली। नगर पंचायत चंदौली के प्रथम बोर्ड के गठन में नगर की सरकार जनहित में कार्य करे। इसके लिए एक मजबूत विपक्ष की मौजूदगी रही, जिसका नेतृत्व तत्कालीन शेष बदन सिंह ने किया, जिनके निर्वाचन में उनकी टीम में बतौर साथी व सहयोगी नूर मोहम्मद, विख्खी राम, जयराम, कौशल कुमार का योगदान रहा। वहीं सभासद आफताब आलम ने मुद्दों का समर्थन किया। नूर मोहम्मद ने बताया कि नगर व जनहित में कार्य हो इस बात को लेकर हमेशा सक्रियता दिखाई गई। इस बात को लेकर चेयरमैन लालता प्रसाद यादव से वैचारिक व मुद्दों को लेकर मतभेद रहे और इसका सकारात्मक विरोध तक किया गया। जब भी हमें लगा नगर पंचायत चंदौली का कामकाज जनता के हित में नहीं हो रहा है, तब-तब हम सभी मिलकर इसका विरोध करते थे। जरूरत पड़ने पर तत्कालीन जिला मुख्यालय वाराणसी जाकर डीएम के समक्ष धरना-प्रदर्शन करने का काम भी हम सभी ने किया। पूरे पांच सालों तक जनहित के मुद्दों के समर्थन का सकारात्मक दौर चला। यह चुनाव जीवन के यादगार स्मृतियों में आज भी हम सभी सहेजे हुए हैं।


650 रुपये खर्च कर बन गया सभासदः कौशल कुमार
चंदौली। इंदिरा नगर वार्ड से तत्कालीन सभासद कौशल कुमार ने बताया कि जब वे सभासद पद के लिए चुनाव लड़े तो उनकी इच्छा और महत्वकांक्षा को देखते हुए परिवार से उन्हें चुनाव खर्च के रूप में 1000 रुपये प्राप्त हुए। हालांकि पूरे चुनाव प्रक्रिया के दौरान वे मात्र 650 रुपये ही खर्च कर पाए और जनमत को प्राप्त कर विजयी रहे। उस दौरान में वार्ड सभासद पद के उम्मीदवारों के लिए जमानत राशि 50 रुपये निर्धारित थी, वहीं चेयरमैन पद के उम्मीदवारों के लिए 100 रुपये थी।