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Saturday, April 20, 2024

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शख्सियतः चंद्रेश्वर जायसवाल ने राजनीति की नींव पर रखी समाजसेवा की आधारशिला!

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फिल्मी और दिलचस्प है चंद्रेश्वर जायसवाल के राजनेता‚ उद्‍यमी व समाजसेवी बनने की कहानी

शमशाद अंसारी
Young Writer, डीडीयू नगर। फिल्म ‘भौकाल’ को मूवी का शौक रखने वाले हरएक शख्स ने इसे जरूर देखा होगा। जो दबंग आईपीएस अफसर नवनीत सिकेरा के जीवन के एक अहम घटनाक्रम से प्रेरित व आधारित है। जिसमें सशक्त अभिनय के जरिए यह फिल्माया गया है कि कैसे एक युवा अपने पिता के अपमान का आहत होकर आक्रोश की ऐसी ताप में खुद को जलाकर पुलिस आफिसर बनता है और अपनी सफलता से उस पुलिस वाले के अपमान का बदला लेता है। स्टोरी फिल्मी थी लिहाजा उसे फिल्माया गया। ऐसी एक दिलचस्प और फिल्मी स्टोरी मिनी महानगर मुगलसराय के उद्यमी की है जो सामान्य व्यापारी परिवार से पहले नेता, फिर एक सफल उद्यमी और आगे चलकर समाजसेवी बनते हैं। जी हां! बात हो रही समाजसेवा को जनपद में उरूज पर ले जाने वाले चंद्रेश्वर जायसवाल की।

कड़ाके की ठंड में गरीबों के बीच कंबल वितरित करते चंद्रेश्वर जायसवाल व उनकी टीम।

चंद्रेश्वर जायसवाल 2002 के दौर में यानी दो दशक पूर्व 23 वर्ष की अवस्था में एक सामान्य युवा हुआ करते थे, जिनका जीवन एकदम सामान्य रहा। उनके मुताबिक एक दिन वह बाइक से शाहकुटी अपने घर लौट रहे थे, तभी कूड़ा बाजार पुलिस चौकी के वाहन चेकिंग चल रही थी। पुलिस वाले ने बाइक चला रहे उनके नौकर को रुकने का इशारा किया, लेकिन बाइक रुकते-रुकते थोड़ी आगे बढ़ गयी। लिहाजा दरोगा जी को यह बात नागवार लगी। उन्होंने बाइक चला रहे नौकर को न केवल थप्पड़ रसीद किया, बल्कि उसे पुलिस चौकी पर बैठा लिया। यह देखकर चंद्रेश्वर जब अपने नौकर को छुड़ाने के लिए पुलिस चौकी के अंदर दाखिल होना चाहे तो उन्हें भी पुलिस वाले के अपमान व आक्रोश को झेलना पड़ा। यह बात 23 वर्षीय युवा चंद्रेश्वर के दिल और दिमाग पर गहरे जख्म दे गयी। हालांकि चंद मिनटों बाद उन्हें बसपा के तत्कालीन विधानसभा इकाई अध्यक्ष रहे रामराज भारती से नई प्रेरणा भी मिली। उन्होंने चंद्रेश्वर को हाल-परेशान देखा तो उसकी वजह पूछी और पुलिस चौकी जाकर दरोगा को अपने राजनीतिक रसूख से परिचित कराया और वहां बैठाए गए नौकर को छुटा लाए।

कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों व जरूरतमंदों में राशन वितरित करते चंद्रेश्वर जायसवाल व उनकी टीम।

इस घटनाक्रम ने चंद्रेश्वर जायसवाल को राजनीति की ताकत से रूबरू कराया और उसी वक्त उन्होंने राजनीति में आने का त्वरित व मजबूत निर्णय लिया और घर जाते ही अपने इस फैसले से घर-परिवार को अवगत कराया। चंद दिनों बाद उन्होंने इस शर्त के साथ बसपा से जुड़े की कूड़ा बाजार चौकी पर तैनात दरोगा जी की वहां से छुट्टी की दी जाए और ऐसा हुआ भी। यहां से उनके राजनीतिक कैरियर का आगाज हुआ। लेकिन जब भी चंद्रेश्वर चुनाव प्रचार व कैम्पेनिंग के लिए दलित व मलिन बस्तियों में जाते वहां के दृश्य इनके दिलों-दिमाग को अंदर से झंकझोर कर रख देते। हर तरफ तंगी, बदहाली, भुमखरी, अशिक्ष व संसाधनों का अभाव था। सड़कें नहीं थी, पीने के पानी के लिए लोग जद्दोजहद करते थे। जल निकासी का प्रबंध नहीं था। बेटियों की शादी केवल इसलिए नहीं हो पा रही थी उनके परिवारों के पास शादी का खर्च उठाने की क्षमता नहीं थी। यहीं से राजनेता चंद्रेश्वर जायसवाल के अंदर समाजसेवी चंद्रेश्वर ने जन्म दिया। उनकी मजबूत राजनीतिक नींव पर समाजसेवा का एक सशक्त आधारशीला रखा।

डीडीयू नगर में गरीब रिक्शेवाले की मदद करते चंद्रेश्वर जायसवाल।

बताते हैं कि 2006 में सकलडीहा क्षेत्र का एक व्यक्ति उनके पास आया। उसने बताया कि आर्थिक तंगी के आकर वह मजबूरी में अपनी बेटी की शादी एक दो ब्याहे लड़के से कर रहा। बावजूद इसके शादी के खर्च को उठाने का सामर्थ्य उसके पास नहीं है। अगर किसी ने मदद नहीं की तो छोटा सा घर है वह भी बिक जाएगा। चंद्रेश्वर जायसवाल ने उसकी मदद करने की सोची और उनके घर गए। इसके बाद उन्होंने उक्त बेटी की शादी का सारा बंदोबस्त जटिया धर्मशाला में किया। इस पुण्य के काम में जायसवाल मित्रमंडल ने बढ़कर सहयोग किया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। गरीबों के शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार के साथ गरीब बेटियों की शादी का जिम्मा ये खुद उठाते चले आ रहे हैं। इसी सोच को और सशक्त बनाने के लिए उन्होंने परिवर्तन सेवा समिति को अस्तित्व में लाया। इस बीच उन्हें 2005 में ही उद्यमी बनने का भी अवसर मिला और उन्हें उद्यम के क्षेत्र में तमाम उतार-चढ़ाव व दुश्वारियों को झेलते हुए सफलता के झंडे गाड़े। यहां उन्होंने जब गुंडा टैक्स का विरोध किया तो उन पर जानलेवा हमला भी हुआ और छह माह बेड पर रहने के बाद यह फिर से उसी उत्साह व ऊर्जा के साथ उठ खड़े हुए।

गरीबों में बतौर मदद सामग्री वितरित करते चंद्रेश्वर जायसवाल व उनकी टीम।
गरीबों में बतौर मदद सामग्री वितरित करते चंद्रेश्वर जायसवाल व उनकी टीम।

महामना मदन मोहन मालवीय हैं प्रेरणास्रोत
डीडीयू नगर।
बसपा की राजनीति करने वाले उद्यमी व समाजसेवी चंद्रेश्वर जायसवाल महामना मदन मोहन मालवीय को अपना आदर्श व उनके जीवन को प्रेरणा मानते हैं। इनका कहना है कि पहली बार मालवीय जी को ही याद करके समाजसेवा के लिए आगे आए। ये अपने निजी खर्च व समाज से प्राप्त संसाधनों से गरीबों के जीवन व आशियाने को रौशन करते चले आ रहे हैं। कोविड-19 संक्रमण काल में जब लोग खुद की जान बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे, तब इन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर गरीबों व जरूरतमंदों में अनाज बांटा। कम्युनिटी किचन चलाकर प्रतिदिन 1000 से अधिक गरीबों का पेट भरा और उनका आसरा बने। चंद्रेश्वर कहते हैं कि परिवर्तन सेवा समिति के एक-एक सदस्य ने कोविड-19 में समाज के प्रति जो समर्पण दिया वह सराहनीय और शौर्य से कम नहीं है। 3500 परिवारों तक अनाज पहुंचाया। इस पुनीत कार्य को उन्होंने समाज के कुछ प्रबुद्ध उद्यमियों व आमजन को समर्पित कर दिया। प्रति वर्ष यह रमजान में उन मुस्लिम परिवारों बतौर मदद 15-20 दिन की इफ्तार सामग्री वितरित करते हैं।

गरीब असहाय वृद्ध को आजीविका के लिए बतौर मदद ठेला व सामग्री भेंट करते चंद्रेश्वर।

गरीबों को समर्पित कर दी सर्दियों की नींद व चैन
डीडीयू नगर।
चंद्रेश्वर जायसवाल जैसा समाजसेवी होना आसान नहीं है जिन्होंने गृहस्थ जीवन में रहने हुए समाज के लिए ऐसा तप किया, जो स्मरणीय है। जिस कड़ाके की ठंड में लोग गर्म व नर्म बिस्तर से बाहर निकलने का साहस नहीं जुटा पाते। ऐसी कड़ाके की ठंड में चंद्रेश्वर जायसवाल अपनी टीम के साथ फुटपाथ इधर-उधर ठंड में ठिठुर रहे गरीब व बेघर लोगों को कंबल दान करते फिरते हैं। उनका यह दान अधिकांशतः गुप्त होता है। क्योंकि जब यह कंबल दान कर रहे होते हैं उसे पाने वाला अक्सर गहरी नींद में होता है। वह कभी 12 तो कभी रात के दो बजे कंबल के साथ घर से निकल जाते हैं और जो जहां मिला उसे वहीं कंबल देकर अपने सामाजिक दायित्व को निभाकर आगे बढ़ जाते हैं। देखा जाए तो पिछले कई वर्षों से अपने सर्दी की रातों की नींद व चैन समाजसेवा को समर्पित करते हुए चले आ रहा हैं।

कड़ाके की ठंड में रात को फुटपाथ पर सोए गरीबों को कंबल प्रदान करते चंद्रेश्वर जायसवाल।

गरीबों को सशक्त व स्वावलंबी बनाने पर है फोकस
डीडीयू नगर।
चंद्रेश्वर जायसवाल लोगों की मदद करने के साथ ही उन्हें सशक्त, स्वावलंबी व शिक्षित बनाने की सोच रखते हैं। यही वजह है कि उन्होंने गत दिनों मुगलसराय के दो गरीब परिवारों को ठेला और कुछ सामग्री उपलब्ध कराई, जिससे आज दोनों परिवार दिन का 400-500 कमा लेते हैं। इस परिवार से दो परिवारों की आजीविका की गाड़ी पटरी पर लौट आयी और अब वे समाज की मुख्य धारा से जुड़ते नजर आ रहे हैं। चंद्रेश्वर बताते हैं कि वह जब भी चुनाव प्रचार या अपने व्यक्तिगत काम से नगर भ्रमण पर होते हैं। इन परिवारों द्वारा पर जो स्नेह व सम्मान दिया जाता है उसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। राजनीति में रहते हुए उन्होंने समाज के अशक्त लोग के हित में कई कामों को करने का प्रयास किया और राजनीतिक व्यक्तित्व होने के कारण प्रशासन-शासन से सहयोग मिला और गरीबों के हित में कुछ करने का अवसर उन्हें मिला। साथ ही इनके सामाजिक कार्य के लिए समय–समय पर शासन–प्रशासन व समाज ने सम्मान व स्नेह भी लौटाया। 

रामनगर औद्‍योगिक एसोसिएशन की ओर से सम्मान प्राप्त करते चंद्रेश्वर जायसवाल।

मिनी महानगर को मॉडल बनाने का है सपना
डीडीयू नगर।
चंद्रेश्वर उद्यमी व समाजसेवी होने के साथ राजनीतिक पर्सन भी हैं और 2002 से ही वह सक्रिय राजनीति में बने हुए हैं। उन्होंने समाज को कुछ देने की प्रेरणा से राजनीतिक में खुद को दिन प्रतिदिन स्थापित करते चले आ रहे हैं। आगामी निकाय चुनाव में उनकी सक्रियता बनी हुई है। उनका मानना है कि वह नगर की सत्ता में आए तो उनका ध्यान मिनी महानगर को मॉडल नगर पालिका बनाना होगा। सर्वप्रथम वह नगर पालिका इंटर कालेज को सेंट्रल स्कूल की तर्ज पर विकसित करने की सोच रखते हैं। इसके अलावा वार्डों में मौजूद 25 परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प व उन्हें अपग्रेड करने की उनकी अपनी की योजना है। उनका कहना है कि नगर के हालात को देखते हुए पार्क व पार्किंग का बंदोबस्त भी उनके द्वारा किया जाएगा। नगर पालिका में सिंगल विंडो पर सारी सेवाएं उपलब्ध कराने के साथ ही सिटिजन चार्टड को लागू करने की उनकी अपनी सोच है। इनकी गुड लिस्ट में नगर पालिका के कर्मचारियों व आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का हित व लाभ भी शामिल है।

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