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Friday, September 22, 2023

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खेती पर संकट: 24 हजार हेक्टेसर कृषि भूमि सिंचने वाला मूसाखांड बांध सूखा!

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समय से नहीं बरसे मेघा तो किसानों को लगेगा तगड़ा आर्थिक झटका

Chandauli News, इलिया। कृषि प्रधान चंदौली की 24 हजार हेक्टेयर उपजाऊ भूमि को सींचने का सशक्त माध्यम मूसाखांड इन दिनों सूखे की चपेट में है। सूखा भी ऐसा कि जिस बांध में पानी लबालब हो और लहरे हिलोरे मार रही थी, वह आज पूरी तरह से सूख कर रेगिस्तान सा दिख रहा है। उसकी बदली हुई तस्वीर बेहद भयावह है। यह न केवल धान के पैदावार पर असर डालेगी, बल्कि रोजगार के कई अवसर पर संकट पैदा होगा। जी हां! क्योंकि मूसाखांड का पानी न केवल सिंचाई, बल्कि मत्स्य पालन के भी काम में लिया जाएगा। यहां से सरकार को राजस्व की प्राप्ति के साथ ही यह ठेकेदार की आमदनी में इजाफा और मछुआ समाज के दर्जनों लोगों के जीविकोपार्जन का साधन भी है। जो अब सूखे की चपेट में आ चुका है।
देखा जाए तो मूसाखांड बांध माह जुलाई व अगस्त में पानी से लबालब भरा रहता है। यहां चारों ओर फैली हरियाली और बांध के विहंगम दृश्य को निहारने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं। यहां खाते हैं, बनाते हैं और नहाते हैं। प्रकृति को बेहद करीब से स्पर्श करने के अपने अनुभव को शानदार बताते हैं। दरअसल मूसाखांड है ही ऐसी जगह जहां जो आए खुद ही मोहित हो उठता है। लेकिन इस बार मूसाखांड बांध बदला-बदला नजर आ रहा है। इसका मूल वजह है बारिश के मौसम में पर्याप्त बारिश का ना होना। जिस कारण आज मूसाखांड बांध पूरी तरह से सूखा पड़ा है। इससे जहां इसके निकलने वाली नहरों व माइनरों के कमांड क्षेत्र के खेत व सिवान सिंचाई बिना सूख रहे हैं। वहीं किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें गहराती जा रही है। नहरें इसलिए सूखी हैं क्योंकि उनमें छोड़ने के लिए बांध में पानी ही नहीं है। स्थानीय लोग बताते हैं कि एक-दो बारिश और नहीं हुई तो मूसाखांड बांध में जो थोड़ा-बहुत पानी आ रहा है वह भी सूख जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो 24 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होना मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ ही मछली पालन करने वालों को भी तगड़ा झटका लगेगा। यह बात दीगर है कि एक जुलाई से 31 अगस्त तक प्रशासन ने मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन इस प्रतिबंध का कोई मतलब नहीं रह गया। क्योंकि मूसाखांड में मछलियों के लिए पानी ही नहीं बच पाया। स्थिति यदि ऐसी ही रही तो आगे आने वाले समय में किसानों के साथ मत्स्य पालकों को तगड़ा आर्थिक झटका लगेगा। एक तरफ किसानों की पैदावार पर संकट है तो दूसरी ओर मत्स्य पालन पर आश्रित लोगों की आजीविका खतरे में नजर आ रही है। ऐसे में मूसाखांड से अपनी आजीविका को चलाने वाला इन्द्रदेव से बारिश की दुहाई देता नजर आ रहा है। पर्याप्त बारिश हुई तो एक तरफ जहां किसानों की फसल बच जाएगी तो दूसरी ओर मछुआ समाज की आजीविका संकट से काफी हद तक बाहर होगी। अब सबकुछ बारिश पर पूरी तरह से निर्भर है। बारिश कई हजार परिवारों की आजीविका को आगे आने वाले दिनों में निर्धारित करेगी। साथ ही मूसाखांड की सुंदरता में निखार भी बारिश के इंतजार में टकटकी लगाए हुए है।

Photo & Report Credit Saddam

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