Loksabha Election-2024 के रंग में रंगे नजर आ रहे चंदौली के Voter
Shamshad Ansari
Chandauli: लोकसभा चुनाव-2024 का शंखनाद कभी भी हो सकता है। यही वजह है कि चंदौली जनपद के मतदाता चुनावी रंग में रंगते नजर आ रहे हैं। ऐसे में एक बार भी आकांक्षी जनपद चंदौली की समस्याओं व मुद्दों को भूलकर मतदाता पार्टियों द्वारा तय किए जाने वाले प्रत्याशियों की प्रोफाइल में दिलचस्पी लेती नजर आ रही है। यह पहली बार नहीं है, जब चुनाव आते ही बुनियादी सवाल व समस्याएं गौण हुईं हैं। यह परम्परा पुरानी है जिसका प्रभाव आज भी वोटरों पर अपनी छाप छोड़ता दिख रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि जिन समस्याओं को लेकर चंदौली की जनता पिछले पांच सालों तक जूझती दिखी। क्या लोकसभा चुनाव के कैम्पेन में उन मुद्दों व सवालों को प्रत्याशियों व उनके समर्थकों के बीच रख पाएगी? या फिर लोकतंत्र का यह महापर्व भी राजनैतिक हवा के साथ हवाहवाई हो जाएगा।
विदित हो कि Loksabha Election-2024 को लेकर जनपद चंदौली के तीन विधानसभा क्षेत्रों में अच्छी-खासी राजनीतिक हलचल देखने को मिल रही हैं। Chakia विधानसभा Chandauli जनपद का हिस्सा होने के बावजूद रावर्टसगंज संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के कारण यहां राजनीतिक हलचल अमूमन सामान्य से कम ही देखने को मिलती है। वहीं मुगलसराय, सकलडीहा व सैयदराजा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो इस वक्त चुनावी चर्चाओं के साथ ही SP व BJP की ओर से तय किए गए प्रत्याशियों के प्रोफाइल की चर्चाएं आम लोगों में काफी है। केंद्रीय मंत्री डा.महेंद्रनाथ पांडेय जहां अपने दो सफलतम कार्यकाल को पूर्ण करके तीसरे कार्यकाल को सकुशल सम्पन्न करने की तैयारी में जुटे हैं, वहीं सपा के वीरेंद्र सिंह जीत का सेहरा अपने सिर बांधने की तैयारियों में जुटे हैं। BJP के डा.महेंद्रनाथ पांडेय से लगभग पूरी चंदौली चिर-परिचित है, वहीं सपा प्रत्याशी की पहचान अभी भी चुनिंदा चेहरों तक ही सीमित है। हालांकि उनके बारे में जानने की उत्सुकता वोटरों में तेजी से बढ़ रही है।
फिलहाल BSP के उम्मीदवार को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं। लेकिन राजनीतिक चर्चाओं के बीच बहुत कुछ ऐसा है जो जरूरी होने के साथ ही चंदौली के लिए अतिमहत्वपूर्ण है, जो पीछे छूटता नजर आ रहा है। मसलन चंदौली के विकास की बात, आमजन का कल्याण, उनकी समस्याएं और जनहित से जुड़े मुद्दे गौण होते दिख रहे हैं। ऐसे में चुनावी शंखनाद हुआ तो उसके शोर में सबकुछ का दब जाने का आशंकाओं से इन्कार नहीं किया जा सकता है। अब देखना यह है कि चढ़ते चुनाव के साथ चंदौली की जनता नेताओं के किए वादों और अपनी समस्याओं के निराकरण को लेकर तय मुद्दों को कितना मजबूती के साथ उठा पाती है।