बोले, भगवान बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग देता है जीवन को दिशा
Young Writer, Chandauli: बुद्ध का आष्टांगिक मार्ग देता है जीवन को दिशा उक्त बातें शनिवार को घुरहूपुर में आयोजित बौद्ध महोत्सव के दौरान मुख्य वक्ता श्रीलंका से आए भंते अशोक ने कही। उन्होंने कहा बौद्ध धर्म दुखों का दूर करने का उपाय सुझाता है। बौद्ध धर्म आध्यात्मिक साधना के लिहाज से लचीला धर्म है जो ना तो शरीर को नष्ट करने वाले कठोर तप पर बल देता है और ना ही सांसारिक जीवन को पूरी तरह छोड़ने पर। उन्होंने कहा कि बौद्ध कठोर तपस्या और भोग विलास दोनों के बीच का मार्ग सुझाता है। जिसे साधना का माध्यम मार्ग कहा गया है, जिसमें आगे बढ़ने के लिए बुद्ध ने आष्टांगिक मार्ग का प्रतिपादन किया है।
उन्होंने आष्टांगिक मार्ग सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाक, सम्यक वाक, सम्यक कर्मांत, सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति, सम्यक समाधि के बारे में विस्तार से बताया। कहा कि सम्यक दृष्टि का अर्थ है कि हम जीवन के दुःख और सुख का सही अवलोकन करें। आर्य सत्यों को समझें। सम्यक संकल्प जीवन में संकल्पों का बहुत महत्व है। यदि दुःख से छुटकारा पाना हो तो दृढ़ निश्चय कर लें कि आर्य मार्ग पर चलना है। सम्यक वाक, जीवन में वाणी की पवित्रता और सत्यता होना आवश्यक है। यदि वाणी की पवित्रता और सत्यता नहीं है तो दुःख निर्मित होने में ज्यादा समय नहीं लगता। सम्यक कर्मांत, कर्म चक्र से छूटने के लिए आचरण की शुद्धि होना जरूरी है।
सम्यक आजीव, यदि आपने दूसरों का हक मारकर या अन्य किसी अन्याय पूर्ण उपाय से जीवन के साधन जुटाए हैं तो इसका परिणाम भी भुगतना होगा इसलिए न्याय पूर्ण जीविकोपार्जन आवश्यक है। सम्यक व्यायाम, ऐसा प्रयत्न करें जिससे शुभ की उत्पत्ति और अशुभ का निरोध हो। सम्यक स्मृति, चित्त में एकाग्रता का भाव आता है शारीरिक तथा मानसिक भोग-विलास की वस्तुओं से स्वयं को दूर रखने से। एकाग्रता से विचार और भावनाएँ स्थिर होकर शुद्ध बनी रहती है।सम्यक समाधि रू उपरोक्त सात मार्ग के अभ्यास से चित्त की एकाग्रता द्वारा निर्विकल्प प्रज्ञा की अनुभूति होती है। यह समाधि ही धर्म के समुद्र में लगाई गई छलांग है। उन्होंने बुद्ध के इस मार्ग चलकर निर्वाण को प्राप्त किया जा सकता है। इस अवसर चौधरी राजेन्द्र सिंह, विकास आनंद,रमाशंकर राजभर,ओम चन्द्र प्रकाश मौर्य, गोविन्द, श्रवण कुमार, सुभाष, शिवशंकर, महेंद्र राजभर, राजेन्द्र सिंह,भरत विन्द, अरुण यादव, जयप्रकाश मौर्य, सीपी खरवार सहित आदि लोग उपस्थित रहे। संचालन वशिष्ठ सिंह मौर्य ने किया।