पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिय श्रद्धालियों ने पोखरे में स्नान कर नये वस्त्र के साथ किया जलाभिषेक
Young Writer, Sakaldiha: सकलडीहा क्षेत्र के जामडीहा गांव में 200 वर्ष प्राचीन जामेश्वर महादेव का मंदिर है। जहां पर एक साथ डबल शिवलिंग स्वयं से अवतरित है। मान्यता है कि पुत्र रत्न प्राप्ति के लिये यहां पर आने वाली महिलाएं सूर्योदय से पूर्व जलाभिषेक करना शुरू कर देती है। धनतेरस से भाई दूज तक पति-पत्नी सरोसर में स्नान कर डबल शिवलिग पर जलाभिषेक करते है। मन्नत पूरा होने पर महिलायें बच्चें के साथ मुंडन संस्कार के लिये आती है। दिवाली के दूसरे दिन शनिवार को दर्शन पूजन के लिये श्रद्धावानों की भीड़ उमड़ पड़ा था। सुरक्षा को लेकर एसडीएम अनुपम मिश्रा और सीओ राजेश कुमार राय तथा बीडीओ विजय कुमार सिंह के नेतृत्व में भारी पुलिस बल सुबह से लेकर देर रात तक तैनात रहा।
पौने दो सौ वर्ष पूर्व गाजीपुर जनपद के सराय पोस्ता स्टीमर घाट निवासी सुखलाल अग्रहरि चन्दौली स्थित अपने रिश्तेदारी से लौट रहे थे। रास्ते मे पीपल का पेड़ देख विश्राम करने लगे। इसी दौरान उनको नींद आ गई। जिसमें उनको स्वप्न दिखाई दिया कि। यहां जमीन के अंदर शिवलिंग है। अगर तुम यहा मंदिर बनवा देते हो तो तुम्हे पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। सुखलाल अग्रहरि को पुत्र नहीं था। इस पर सुखलाल ने वहां खुदाई शुरू कराई। खुदाई में वहां डबल शिवलिंग अवतरित मिला। इसपर सुखलाल ने यहां मंदिर का निर्माण कराया। तत्पश्चात उनको चार पुत्र हुए। जिनके परिजन आज भी दर्शन करते है। उसी समय से यहा धनतेरस के दिन से भाई दूज तक मंदिर के पास स्थित सरोवर में पति-पत्नी स्नान कर वस्त्र घाट पर ही छोड़ नया वस्त्र धारण कर 200 मीटर दूर बाबा जामेश्वर का जलाभिषेक कर दर्शन पूजन करते है। साथ ही मन्नते मांगते है। मान्यता है कि ऐसा करने से उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।और जो पुत्र होता है। यही पर बैंड बाजे के साथ उसका मुंडन संस्कार के लिये आता है। यहा चन्दौली सहित आसपास के जनपदों के अलावा बिहार राज्य से भी बडी सख्या में महिलाएं और पुरुष स्नान कर दर्शन पूजन करते हैं। घंट-घड़ियाल से पूरा माहौल भक्तिमय बना रहता है।