शहाबगंज ब्लाक के वनांचल स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में पुराने प्रश्न–पत्र से हुई परीक्षा
Young Writer, इलिया। बेसिक शिक्षा विभाग पूर्व माध्यमिक व प्राथमिक विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों की शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। यही वजह है कि परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा का स्तर तेजी से गिरता चला जा रहा है और जिससे सरकारी स्कूलों से मिलने वाली बेहतर शिक्षा की उम्मीदें भी तेजी से धुमिल हो रही है। ताजा मामला परिषदीय विद्यालयों में चल रहे वार्षिक परीक्षा के दौरान सामने आए। बच्चों को गुरुवार को कक्षा-6 और कक्षा-7 के बच्चों में अंग्रेजी विषय का पुराना प्रश्न-पत्र वितरित कर परीक्षा कराई गयी। यह मामला शहाबगंज ब्लाक के वनांचल के स्कूलों में सामने आया है। मामले के सामने आने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग के मुखिया बीएसए सत्येंद्र कुमार सिंह ने मामले के संज्ञान नहीं होने की बात कही और इसकी जांच कर जिम्मेदारी तय किए जाने का आश्वासन दिया है। लेकिन इस तरह पुराने प्रश्नों के जरिए बच्चों की परीक्षाएं कराना कहीं न कहीं बेहत गंभीर मामला है, जिसे बेसिक शिक्षा विभाग को संज्ञान में लेकर जिम्मेदार अफसर व कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही अमल में लानी चाहिए, ताकि लोगों का बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित स्कूलों के प्रति भरोसा बढ़े।

विदित हो कि प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में इस वक्त वार्षिक परीक्षाएं चल रही है। इन परीक्षाओं का हाल यह है कि उत्तर पुस्तिकाएं बच्चों को उपलब्ध कराने का शासन की ओर से कोई प्रावधान नहीं है। यानी बच्चे खुद ही उत्तर पुस्तिका का बंदोबस्त कर प्रश्नों के उत्तर लिखेंगे। लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रबंधन समिति के समन्वय स्थापित कर इस कमी को दूर करने का प्रयास किया। बावजूद इसके पहले ही दिन स्कूलों में परीक्षा देने वाले बच्चों की संख्या के सापेक्ष कम संख्या में प्रश्न-पत्र स्कूलों को मिलने की सूचना सामने आयी। इसी बीच परीक्षा को लेकर एक बड़ी गड़बड़ी गुरुवार को सामने आयी। पूर्व माध्यमिक विद्यालय के बच्चों के अंग्रेजी विषय की परीक्षा थी, जिसके मद्देनजर इन बच्चों में शैक्षणिक सत्र 2016-17 के प्रश्न-पत्र वितरित किए गए थे। बच्चे जब परीक्षा देकर स्कूलों से बाहर आए तो अभिभावकों की नजर पुराने प्रश्न-पत्र पर पड़ी। इसके साथ ही अभिभावकों द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग की व्यवस्थाओं पर कई सवाल खड़े किए। कहा कि सरकारी स्कूलों में तमाम योजनाएं संचालित कर करोड़ों रुपये सरकार फूंक रही है। लेकिन विद्यालय की स्थापना का मूल उद्देश्य पढ़ाई व परीक्षा को लेकर सरकार बिल्कुल गंभीर नहीं है। यदि ऐसा होता तो सरकार बच्चों के किताबों, ड्रेस व अन्य सुविधाओं के साथ ही परीक्षाओं के मद्देनजर प्रश्न-पत्र व उत्तर पुस्तिकाओं का प्रबंध करती, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। बच्चों की परीक्षा जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को शिक्षा विभाग पुराने प्रश्नों के सहारे कराने के प्रयास में है, जो बड़ी लापरवाही है। उधर, बीएसए सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस तरह का कोई मामला संज्ञान में नहीं है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए बेसिक शिक्षा विभाग इस कमी व लापरवाही की जांच कराएगा और विभाग कमी पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ उचित विभागीय कार्यवाही अमल में लाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षा गुणवत्ता को लेकर किसी तरह की लापरवाही क्षम्य नहीं है।