14.5 C
New York
Saturday, September 30, 2023

Buy now

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह नहीं रहे, लखनऊ में हुआ निधन

- Advertisement -

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह अपने कड़े और पारदर्शिता प्रशासन के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उनका लंबी बीमारी के बाद शनिवार को निधन हो गया। उन्हें चार जुलाई को संजय गांधी पीजीआई के Critical Care medicine के आईसीयू में गंभीर अवस्था में भर्ती किया गया था। लंबी बीमारी और शरीर के कई अंगों के धीरे-धीरे फेल होने के कारण आज उन्होंने अंतिम सांस ली। भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक कल्याण सिंह का पार्टी के साथ ही भारतीय राजनीति में कद काफी विशाल था। अयोध्या के विवादित ढांचा के विंध्वस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक थे। कल्याण सिंह का जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। कल्याण सिंह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और अतरौली के विधानसभा के सदस्य थे। वह बुलंदशहर तथा एटा से लोकसभा सदस्य भी रहने के साथ राजस्थान तथा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे। राज्यपाल के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त करने के बाद कल्याण सिंह ने लखनऊ में आकर एक बार फिर से भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।

पहली बार कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वर्ष 1991 में बने और दूसरी बार यह वर्ष 1997 में मुख्यमंत्री बने थे। उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक चेहरों में एक इसलिए माने जाते हैं, क्यूंकि इनके पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान ही बाबरी मस्जिद की घटना घटी थी। कल्याण सिंह भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने के बाद जून 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद अयोध्या में विवादित ढांचा के विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये छह दिसम्बर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया।

कल्याण सिंह 1993 में अतरौली तथा कासगंज से विधायक निर्वाचित हुये। इन चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरा लेकिन सरकार न बनने पर कल्याण सिंह विधान सभा में नेता विपक्ष के पद पर बैठे। इसके बाद भाजपा ने बसपा के साथ गठबंधन करके उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई। तब कल्याण सिंह सितंबर 1997 से नवंबर 1999 में एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। गठबंधन की सरकार में मायावती पहले मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन जब भाजपा की बारी आई तो उन्होंने समर्थन वापस ले लिया। बसपा ने 21 अक्टूबर 1997 को कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। बसपा की चाल भांप चुके कल्याण सिंह पहले से ही कांग्रेस विधायक नरेश अग्रवाल के सम्पर्क में थे और उन्होंने नरेश अग्रवाल के साथ आए विधायकों की पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का घटन कराया 21 विधायकों का समर्थन दिलाया। नरेश अग्रवाल को सरकार में शामिल करके उन्होंने नरेश अग्रवाल को ऊर्जा विभाग का मंत्री भी बना दिया।

कल्याण सिंह ने इसके बाद किसी बात पर खिन्न होकर दिसंबर 1999 में भाजपा को छोड़ दिया। उन्होंने अपनी पार्टी बना ली और मुलायम सिंह यादव के साथ भी जुड़ गए। करीब पांच वर्ष बाद जनवरी 2003 में उनकी भाजपा में फिर वापसी हो गई। भाजपा ने 2004 लोकसभा चुनाव में उनको बुलंदशहर से प्रतत्याशी बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव 2009 से पहले भाजपा को छोड़ दिया। वह एटा से 2009 का लोकसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़े और जीत दर्ज की। कल्याण सिंह तबीयत खराब होने के कारण लखनऊ के संजय गांधी पीजीआइ में चार जुलाई से भर्ती थे।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,875FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles

You cannot copy content of this page

Verified by MonsterInsights