अपने आवास पर पेड़–पौधों को रक्षा सूत्र बांधते लेखपाल सुरेश कुमार शर्मा।
प्रकृति की सुरक्षा के संकल्प से त्यौहार को बना दिया पुनीत
चंदौली। रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व है। यह त्यौहार हर वर्ष बहनों के जीवन में उल्लास भर देता है। बहनें अपने भाई के कलाई पर इस विश्वास के साथ रक्षा-सूत्र बांधती है कि उसका भाई सलामत रहे और उसकी सुरक्षा का एक मजबूत स्तंभ कायम रहे। यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। उस दौर से जब भगवान श्रीकृष्ण शिशुपाल करते हैं तो युद्ध के दौरान उनका हाथ चोटिल हो जाती है, जिसे देखकर द्रोपदी अपनी साड़ी का एक सिरा फाड़कर उनकी कलाई पर बांध देती हैं। इसके सापेक्ष भगवान श्रीकृष्ण द्रोपदी को रक्षा का वचन देते हैं। लेकिन अबकी बार जनपद में कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आयीं जो इस रक्षा सूत्र के महत्व को महत्तम तक ले गयी। जी हां! भाई-बहन के इस त्यौहार पर प्रकृति से प्रेम का भी भाव देखने को मिला। एक छोटे से गांव में एक छोटे परिवार की पहल भले ही छोटी हो, लेकिन संदेश काफी बड़ा था। इस सकारात्मक प्रयास को जानने के बाद हर कोई इस परिवार को सलाम करना चाहेगा।
देखा जाए तो बहनों की सुरक्षा का वचन और भाई की सलामती की भावना ही रक्षाबंधन त्यौहार का महत्वपूर्ण भाग है। इस पावन त्यौहार पर यह वचन भाई अपनी बहनों की रक्षा के लिए दे। साथ ही इस वचन में पेड़-पौधे और प्रकृति की सुरक्षा को भी शामिल कर लिया जाय तो यह पावन पर्व पुनीत भी हो जाता है। चंदौली जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर पश्चिम स्थित कटसिला गांव में रक्षाबंधन पर्व पर एक घरौंदे में रक्षाबंधन पर्व पर ऐसा दृश्य देखने को मिला। पेशे से लेखपाल सुरेश कुमार शर्मा का परिवार रविवार को कटसिला स्थित अपने पैतृक आवास पर रक्षाबंधन का त्यौहार मना रहा है। घर-परिवार के छोटे बच्चे सुबह से ही त्यौहार की खुशियां बांटने व खेलकूद में मगन थे। इस बीच लेखपाल सुरेश शर्मा और उनके बड़े भाई बृजेश कुमार शर्मा एडवोकेट को तिलक लगाने के साथ ही रक्षा-सूत्र बांधकर उनकी बहन निशा शर्मा ने अपने भाइयों के दीर्घायु होने की कामना की। वहीं भाइयों द्वारा अपनी बहन को उपहार भेंट किया गया। इसके बाद उनका परिवार अपने अहाते में लगे एक-एक पेड़-पौधों को रक्षा-सूत्र बांध कर एक नयी मिसाल पेश की। इस बाबत सुरेश कुमार शर्मा का कहना था कि प्रकृति से हर किसी को प्रेम करना चाहिए। इनसे हमारा जन्म से लेकर मृत्यु तक का वासता होता है। ये हमें न केवल छांव, फल व आक्सीजन देते हैं, बल्कि धरा की सुंदरता में चार चांद लगाने है। यदि यह न हो तो समय से बारिश न हों। कई आपदाएं मानव अस्तित्व को मिटाने के लिए व्याकुल हो उठती है। यह तो प्रकृति व इन पेड़-पौधों का वात्सल्य है कि ये बिना किसी लोभ के हमें बहुत कुछ देते आ रहे हैं। ऐसे में हम सभी को इन पेड़-पौधों की देखकर परिवार के सदस्यों के रूप में करनी चाहिए। इसी सोच व प्रयास के साथ आज इन पेड़ों को रक्षा-सूत्र बांधा गया है ताकि इनकी रक्षा का संकल्प हमें व हमारे परिवार को हमेशा याद रहे। साथ ही इस संदेश से दूसरे भी प्रेरित हों और धरा से गायब होती हरियाली धीरे-धीरे फिर से लौट आए, क्योंकि यह मानव जीवन को खुशहाली से भर देते हैं।