रामगढ़ के खेतों में बाढ़ के पानी से बर्बाद फसल देखते किसान।
चहनियां। बाढ़ का पानी घटने के बाद भी कई गांव के हजारों किसानों की फसल बाढ़ के पानी से नष्ट हो गयी। सन 2013 में भी फसलों का नुकसान हुआ था। इस बार भी किसानों के घर मे अनाज का दाना नहीं पहुंचेगा। अब ऐसी विषम स्थिति में स्थानीय प्रशासन व शासन किसानों को हुए भारी नुकसान का त्वरित मूल्यांकन कराकर उन्हें तत्काल नुकसान की प्रतिपूर्ति करे, ताकि किसानों को बड.ी आर्थिक क्षति से होने वाले आघात को कम किया जा सके। इसमें स्थानीय जनप्रतिनिधि बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। फिलहाल किसानों की निगाहें स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधियों पर है।
बाढ़ की विभीषिका झेल चुके तटवर्ती गांव कांवर, महुअरिया, बिसूपुर, महुआरी खास, सराय, बलुआ, महुअर कला, हरधन जुड़ा, विजयी के पूरा, गणेशपुरा, टाण्डाकला, बड़गांवा, तीरगांवा, हसनपुर, नादी के ग्रामीणों को पानी घटने से राहत तो मिल गयी। किन्तु इन गांवो के साथ बाण गंगा नदी से जुड़े गांव भुसौला, मुकुंदपुर, चकबुलन, नदेसर, सढान, बरिया, रामगढ़, कुरा, महमदपुर, बैराठ, रइया, नौदर, सुरतापुर, रमौली, चहनियां, सिंगहा, लक्ष्मणगढ़, राधे के मड़ई, कैथी आदि गांवो के हजारों किसानों की फसल बर्बाद हो गयी। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा ही मंजर 2013 के बाढ़ में आया था। यह पानी कई महीनों तक नहीं निकलता है, जिससे आगे के फसल भी प्रभावित होती है। तटवर्ती गांव के किसान तो अगली खेती कर भी लेते है किंतु बाण गंगा नदी से जुड़े खेतों के हजारों किसानों के घर अनाज का दाना भी घर नहीं पहुच पाता है।