इलिया। ग्राम पंचायतों में सफाई सामग्री के नाम पर सरकारी धन की सफाई का अभियान शहाबगंज ब्लाक में बदस्तूर जारी है। आंकड़ें यह बयां करने के लिए पर्याप्त है कि अधिकांश ग्राम पंचायतों में सफाई के नाम पर गड़बड़झाला हुआ है, जबकि ग्रामीणों का आरोप है कि गांवों में सफाई कार्य ठीक ढंग से नहीं हो पा रहे है। अब सवाल यह है कि सरकार सफाई के प्रति गंभीर है और उस पर धन खर्च कर रही है तो फिर गांवों के परिदृश्य में बदलाव क्यों नहीं आ रहा है? क्या भ्रष्टाचार की जड़ें सफाई व्यवस्था को भी पूरी तरह से जकड़ चुकी हैं। प्रभारी एडीओ पंचायत की माने तो दो लाख तक रुपये खर्च करने का अधिकार पंचायतों के पास होता है।
शहाबगंज ब्लाक क्षेत्र के ग्राम पंचायतों में सफाई सामग्री की खरीद के नाम पर 72 हजार तक आहरित किए गए। यह सभी धनराशि चालू वित्तीय वर्ष में निकाली गयी है। क्षेत्र के अमांव ग्राम पंचायत में 48800, वनभीषमपुर में 70 हजार, बरांव में 28060, बसाढ़ी में 24 हजार, भोड़सर में 52350, छित्तमपुर 37975, ढोढनपुर 38870, हाटा में 10980, जिगना में 72 हजार, किड़हिरा में 41500, नौडिहा 57 हजार, राममाड़ो 41800, सरैयां 11 हजार व मंगरौर ग्राम पंचायत में 11578 रुपये की निकाली की गयी है। ये ग्राम पंचायतें मात्र नजीर हैं। तमाम ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जहां सफाई के मद में सरकारी धन की सफाई बड़ी सफाई के साथ की गयी है। इसमें अधिकांश गावों में ग्राम पंचायत के प्रधान व सेक्रेटरी की भूमिका पर ग्रामीण सवाल कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो गयी है। कुछ गांव की बस्तियां व इलाके ऐसे हैं जहां साफ-सफाई के साथ ही दवाओं के छिड़काव की आवश्यकता है, लेकिन प्रधान व सेक्रेटरी उनकी फरियाद नहीं सुनते। ऐसे ही हालत कायम रहे तो डायरिया व अन्य संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बना है।
…क्या कहते हैं जिम्मेदार अफसर
इलिया। सफाई के मद में सरकारी धन की हुई निकासी के बाबत प्रभारी एडीओ पंचायत चंद्रबली मौर्या ने बताया कि ग्राम पंचायतों को दो लाख रुपये तक धन आहरित करने का अधिकार है वह उसे अपने स्वेच्छा व विवेक के आधार पर ग्राम पंचायतों में खर्च कर सकते हैं। कहा कि कोरोनाकाल में स्वास्थ्य विभाग की ओर से ग्राम पंचायतों में दवा का छिड़काव कराया गया था उसके बाद से ग्राम पंचायत की ओर से गांवों में दवा का छिड़काव नहीं कराया गया था। धन निकासी के बाबत बताया कि इस बारे में ग्राम पंचायतों में तैनात सेक्रेटरी ही बता पाएंगे। जो फाइलें ब्लाक मुख्यालय आती हैं उसी के बारे में ही जानकारी हो पाती है।