ओपीडी गेट के पास जमा नाबदान का गंदा पानी।
चंदौली। यह तस्वीर तमाचा है जिले की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दंभ भरने वाले अफसरों की। उन नोडल अफसरों के नजरिए की, जो निरीक्षण में आते हैं और सबकुछ ओके करके चले जाते हैं। लेकिन क्या धरातल पर सचमुच सबकुछ ओके हैं। इसका जवाब है जी नहीं! यह हम नहीं जिला अस्पताल के ओपीडी गेट पर जमा नाबदान का पानी की तस्वीरें कह रही हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अभी एक दिन पूर्व ही पीकू वार्ड का निरीक्षण करने आए एडी स्वास्थ्य ने चंदौली के स्वास्थ्य महकमे की बंदोबस्त को पूरे में पूरे अंक देते हुए संतोष जाहिर किया था, जबकि ओपीडी गोट लगे नाबदान के पानी को वे नजरअंदाज कर चले गए।
जिला अस्पताल की सुविधाओं से असंतुष्ट तीमारदारों व मरीजों ने कहा कि एडी स्वास्थ्य ने सरकारी चश्मे से सबकुछ देखा और निरीक्षण कर लौट गए। यदि अफसरों का ध्यान निरीक्षण के दौरान खामियों पर हो तो स्वास्थ्य सेवाएं आज इस कदर बेहाल नहीं होती। बारिश के मौसम में नाबदान का पानी यदि किसी सुदूर गांव-गिरांव में जमा हो तो समझ में आता है, लेकिन यहां जिला अस्पताल का ओपीडी गेट की नाबदान के पानी की चपेट में है। यह जिले के स्वास्थ्य महकमे के लिए दुर्भाग्य की बात है। साथ ही उन अफसरों की मानिटरिंग व कार्य प्रणाली भी सवालों के घेरे में आ जाती है, जो बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का जिम्मा जिले में संभाल रहे हैं। अब उक्त प्रकरण में जिलाधिकारी संजीव सिंह संज्ञान में ले तो उम्मीद है कि जल्द ही जमाव की समस्या दूर हो सकते है। यह समस्या क्यों है और कैसे दूर होगी? इसका सही-सही उत्तर जिले का स्वास्थ्य महकमा ही दे सकता है। फिलहाल के परिदृश्य को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस समस्या को लेकर जिले का स्वास्थ्य महकमा व जिम्मेदार जनप्रतिनिधि पूरी तरह से उदासीन बने हुए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से यह समस्या कायम है और जब भी बारिश होती है जलजमाव हो जाता है।
…क्या कहते हैं जिम्मेदार
चंदौली। इस संबंध में सीएमएस डा. भूपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि जल निकासी के लिए लगी पाइप टूट गयी है, जिससे पानी का निकास नहीं हो पा रहा है। कार्यदायी संस्था को नया पाइप लगाने के लिए निर्देश दे दिया गया है। जल्द ही समस्या का निराकरण हो जाएगा।