सपा–भाजपा दोनों विकल्प खुलेः रामअचल राजभर

चंदौली। बसपा से निष्कासित कद्दावर नेता रामअचल राजभर मंगलवार को जनपद दौरे पर थे। इस दौरान मुख्यालय पर आयोजित सभा में उन्होंने समाज को संबोधित किया। भविष्य की योजना पर सजातीय लोगों से बातचीत की। उनके विचारों व सुझावों को सुना। कहा कि वह उसी दल से जुड़ेंगे जो उनके वोटरों, सपोटरों के साथ ही स्वजातीय बंधुओं के हक व न्याय की लड़ाई लड़े। फिलहाल सूबे में सपा और भाजपा दो ही मजबूत विकल्प है और दोनों ही विकल्प को खुला रखा गया है। अभी तक किसी भी दल में जाने की किसी भी योजना पर मुहर नहीं लगी है। संघर्ष मोर्चा के जरिए अपने स्वजातीय बंधुओं के विचार लिए जा रहे हैं और जल्द ही आगामी रणनीति अमल में लायी जाएगी।
उन्होंने कहा कि मैंने बसपा को अपना पूरा राजनैतिक कैरियर समर्पित कर दिया, लेकिन मेरे त्याग, समर्पण व बलिदान को दरकिनार कर मुझे पार्टी से बाहर निकाल दिया गया। मुझे उम्मीद थी कि बसपा सुप्रीमो मायावती मुझे बुलाकर मेरा पक्ष जानना चाहेंगी, मेरी पीड़ा को सुनेगी। लेकिन आज तीन महीने होने जा रहे है ऐसा नहीं हुआ। लिहाजा समाज के हितों व उनके न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए आगे की राजनीतिक सफर तय करना होगा। भविष्य की योजना पर चिंतन-मंथन हो रहा है। अभी फिलहाल अपने लोगों से उनकी प्रतिक्रियाएं जानने का प्रयास कोशिशें चल रही है।

सम्मान समारेाह में उमड़े राजभर समाज के लोग।

कहा कि किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ने से पहले उसके उद्देश्य, सिद्धांत व विचारधारा को जानना बेहद जरूरी है। क्योंकि यह मेरे स्वजातीय बंधुओं के साथ-साथ वोटरों-सपोटरों के हित से जुड़ा मामला है। उसी दल से जुड़ने का प्रयास होगा जो उनके स्वजातीय बंधुओं के हितों की सुरक्षा का भरोसा दे। सूबे में ऐसा माद्दा रखने वाली दो ही पार्टियां मजबूत स्थिति में खुद को कायम किए हुए हैं। इन्हीं उद्देश्यों के साथ चंदौली आना हुआ है। इसके बाद अन्य जिलों में भ्रमण का सिलसिला चलेगा और इसके थमने के बाद ही किसी न किसी दल का हाथ थामकर समाज को राजनीतिक भागीदारी दिलाने की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा। कहा कि मेरे लिए मेरे वोटर, सपोटर व स्वाजतीय बंधु ही प्राथमिकता है। क्योंकि आज इन्हीं की बदौलत राजनीतिक पहचान स्थापित करने में सफल हो पाया हूं। इस अवसर पर डा. रमाशंकर राजभर, गायत्री राजभर, अभय सिंह पिंटू, एमबी राजभर, श्रवण राजभर, महेंद्र राजभर, संजय सिंह, लव बियार, सरोज, हर्ष राजभर, रामसेवक राजभर, केशव राजभर, सूबेदार, चंद्रशेखर, जय हिंद राजभर आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता अवध नारायण राजभर व संचालन संजय राजभर ने किया।