प्रकरण संज्ञान में आने के बाद पुस्तक प्रभारी समेत तमाम लोग मोबाइल बंद कर हुए भूमिगत
चंदौली। धरा बेच देंगे, गगन बेच देंगें। कली बेच देंगे, चमन बेच देंगे। मौका मिले तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे। उक्त लाइनें भले ही थोड़ी संशोधित हो‚ लेकिन इसका आशय वही है जो उक्त पंक्तियों को लिखने वाला लेखक भारतीय समाज को संदेश देना चाहता। इसी लाइन को चंदौली के बेसिक शिक्षा विभाग चरितार्थ करता हुआ रंगे हाथ धरा गया। दरअसल नए शिक्षा सत्र के लिए जिला मुख्यालय से बीआरसी के लिए नवीनतम किताबों का जत्था पिकअप पर लदकर रवाना हुआ‚ लेकिन वाहन चालक बीआरसी न जाकर किताबों के बंडल को बिछियां कला स्थित एक कबाड़ी की दुकान पर बेच डाला। किताबें दो–चार नहीं बल्कि उनका वजन कुंतल में है। यह परिदृश्य देखकर कलेक्ट्रेट जा रहे एसडीएम न्यायिक प्रदीप कुमार रुके और किताबों के बाबत पूछताछ किया तो मामला पटल पर आया। इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों के होश उड़ गए। आनन–फानन में बीएसए सत्येंद्र कुमार सिंह समेत खंड शिक्षा अधिकारी और तमाम आला अफसर बिछियां कला स्थित कबाड़ी की दुकान पर पहुंचे और सरकारी किताबों को जब्त करे उसे जिला मुख्यालय भिजवाया। साथ ही उक्त पिकअप चालक के साथ जनपद में किताबों के वितरण का प्रभार संभालने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही में जुट गयी।
इस प्रकरण का खुलासा होते ही लोगों ने सीधे तो चंदौली के बेसिक शिक्षा विभाग को जिम्मेदार ठहराया। कहा कि शिक्षा को अफसरों व कर्मचारियों ने व्यापार का जरिया बना दिया। जिन किताबों से बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा उसे चंद पैसों के लिए कबाड़ी की दुकानों पर बेचा जा रहा है यह देश के दुर्भाग्य की बात है। इस प्रकरण से समझा जा सकता है बेसिक शिक्षा विभाग बच्चों की शिक्षा को लेकर कितना गंभीर व फिक्रमंद है। उधर‚ पुस्तक प्रभारी समेत इसके लिए जिम्मेदार तमाम अफसर व कर्मचारी अपना–अपना मोबाइल बंद कर भूमिगत हो चुके हैं। इस प्रकरण में बीएसए सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि कबाड़ी के यहां से सत्र 2020-21 और 2021-22 की किताबें बड़ी तादाद में मिली है। यह किताबें कबाड़ी की दुकान पर कैसे और कितने प्रयास से पहुंची इसकी जांच की जा रही है। इसमें दोषी अफसर व कर्मचारियों के खिलाफ विभाग सख्ती के साथ पेश आएगा।