शिक्षक दिवस पर विशेष—
गुरु की भूमिका में युवाओं के भविष्य करे रच-गढ़ रहे सपा नेता
चंदौली। शिक्षक यानी गुरु, जो शिष्यों के भविष्य को रचना है, गढ़ता है और उसमें सफलता के रंग भरता है। शायद इसीलिए शिक्षक हमेशा अपने शिष्यों के लिए पूज्यनीय रहा है और उम्मीद है आगे आने वाले दिनों में भी यह परम्परा कायम रहेगी। आज शिक्षक दिवस के पावन मौके पर जिले के एक नायाब शिक्षक की बात करेंगे, जिन्होंने न केवल युवाओं को लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरित किया, बल्कि अपने अथक प्रयास से उन्हें लक्ष्य तक पहुंचाकर उनके सपनों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। यकीनन आप इस नाम व इन्हें दी गयी नयी पहचान को जाकर थोड़े हैरान जरूर होंगे। जी हां! बात हो रही है सैयदराजा के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू की।
जिनकी पहचान चंदौली और चंदौली के बाहर राजनेता के रूप में है। क्योंकि यही उनका पैशन है और प्रोफेसन है। हालांकि मनोज डब्लू ने कभी भी खुद को नेता नहीं माना। वे जब भी आवाम के बीच होते हैं अक्सर उनका हाव-भाव और संवाद शैली लोगों को अपनेपन का ऐहसास कराती हैै। वह खुद ही अपने आप को किसान-पुत्र और लोगों का हमदर्द व हमराही कहते हैं। बात उनके शिक्षक जैसे महत्वपूर्ण भूमिका की करें तो यह उपाधि उन्हें उस दिन मिली, जब उन्होंने सपा की सरकार के दौरान वर्ष 2015 में युवाओं के लिए चंदौली के आवाजापुर में सेना भर्ती रैली आयोजित कराई। उनके इस प्रयास से हजारों युवाओं को सेना में भर्ती होने का मौका मिला। वहीं 700 युवाओं का सपना मनोज डब्लू ने अपने एक प्रयास में पूरे कर दिए। यह प्रयास कितना बड़ा था और कितना महत्वपूर्ण रहा। इसके बारे में उन 700 परिवारों से बेहतर कोई नहीं जान सकता, जिनके परिवार के बच्चे आज देश की सेवा व सुरक्षा के कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। मनोज डब्लू आज भी युवाओं को प्रेरित करते हुए अक्सर खेल ग्राउण्ड पर दिख जाते हैं। हालिया दिनों में छह सितंबर को आयोजित सेनाभर्ती टल जाने से जिले के कई युवा हताश-निराश होकर अपनी तैयारियों को स्थगित कर दिए थे। जानकारी के बाद मनोज डब्लू ने जनपद के कई खेल ग्राउंड पर पहुंचे और युवाओं में जोश भरा और उनका मार्गदर्शन किया। साथ ही जल्द ही सेनाभर्ती कराने का मजबूत भरोसा देकर लौटे। वह जब भी खेल ग्राउंड पर होते हैं उनका व्यक्तित्व राजनीतिक न होकर एक गुरु में परिवर्तित हो जाता है। देखा जाय तो आज बहुत कम ऐसे लोग हैं राजनीति से जुड़े रहने के बावजूद दूसरों के लिए प्रेरक व मार्गदर्शक की भूमिका अदा कर रहे हैं। समाज को आज ऐसे व्यक्तित्व की दरकार है जो समाज व देश का मार्गदर्शन एक गुरु की तरह करे।