नौगढ़। सरकारी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के सरकारी दावे कितने खोखले है। इसे नक्सल प्रभावित नौगढ़ इलाके का दौरा कर देखा व समझा जा सकता है। पहाड़ पर बसे लौवारी कला ग्राम पंचायत के गोड़टुटवा गांव में खुले में प्राथमिक विद्यालय संचालित हो रहा है। यहां आउटडोर स्कुलिंग किसी विशेष डिमांड पर नहीं, बल्कि सुविधाओं के अभाव व बेसिक शिक्षा विभाग की शिथिलता व लापरवाही के कारण चल रहा है। हालात इतने खराब हैं कि गरीब ग्रामीण बच्चे गर्मी की तपन, बारिश की गीलापन व कड़ाके की ठंड सबकुछ खुले आसमान के नीचे झेल रहे हैं। हालांकि विद्यालय भवन निर्माण का प्रयास हुआ, लेकिन वन विभाग की आपत्ति के कारण उसे 2008 में रोकना पड़ा। फिलहाल एक दशक के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग अनापत्ति हासिल करने में नाकाम रहा है। इसमें गलती किसकी है यह तो महत्वपूर्ण सवाल है। लेकिन उन गरीब बच्चों को विद्यालय की भवन कब मयस्सर होगी? इससे बड़ा सवाल है।
गोड़टुटवा में पेड़ के नीचे चल रहे विद्यालय की स्थिति यह है कि यहां बच्चे बिना ब्लैकबोर्ड के अपनी शिक्षा हासिल कर रहे हैं। फिलहाल शिक्षा के आदान-प्रदान की प्रक्रिया वैकल्पिक व्यवस्थाओं के सहारे चल रही है, जिसका बच्चों के ज्ञानार्जन पर सीधा असर पड़ रहा है। आसपास के निवासी ग्रामीण हैं और अत्यं गरीब भी है, लिहाजा वे अपने नौनिहालों को किसी दूसरे विद्यालय में नामांकन कराने की स्थिति में नहीं है। ग्रामीण बताते हैं कि भवन के साथ-साथ पेयजल व शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है। ऐसे में बच्चों को शौच व लघु शंका के लिए घर आना पड़ता है। वहीं प्यास बुझाने के लिए दूसरे संसाधनों पर आश्रित होना पड़ता है। वहीं मिड-डे-मील का भोजन विद्यालय के पास प्रधान के घर से बनकर आता है। हालांकि विभाग इसे खारिज करता नजर आया। पूरा विद्यालय एक झोले में चल रहा है। यहां सर्दी, गर्मी व बरसात में विषम हालात पैदा होने पर कक्षाओं को स्थगित करना पड़ जाता है। शिक्षा हो या भोजन सवालिया निशान लगा रहता है। ऐसा अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण हो रहा है। ऐसा ही एक विद्यालय नौगढ़ ब्लॉक के लौवारी कला के प्रथमिक विद्यालय गोड़टुटवा का हैं।
इनसेट—
तेरह साल पहले स्वीकृत हुआ था स्कूल
नौगढ़। गोड़टुटवा प्राथमिक विद्यालय की स्थापना वर्ष 2008 में हुई। तेरह वर्ष बीत गए, लेकिन भवन का निर्माण नहीं हो पाया है। जबकि गांव में उत्तर प्रदेश सरकार की पर्याप्त भूमि है। लेकिन आज तक विद्यालय भवन निर्माण का मामला अधर में लटका हुआ है। भवन निर्माण के लिए विभाग के द्वारा आजतक राशि उपलब्ध नहीं कराई गई है। इस परिस्थिति में बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने के साथ मध्याह्न भोजन खाने को विवश हैं। विद्यालय का संचालन चकिया नौगढ़ मेन रोड के किनारे पेड़ के नीचे होता है। प्रधान के घर में मध्याह्न भोजन का खाद्यान्न रखा जाता है। भवन के अभाव में उपस्थिति पंजिका व मध्याह्न पंजिका समेत अन्य दस्तावेज प्रधानाध्यापक व शिक्षक अपने झोले में लाते हैं और साथ ले जाते हैं। गोड़टुटवा प्राथमिक विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 48 है। बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए प्रधानाध्यापक रमाकांत प्रसाद, सहायक अध्यापक राजीव कुमार सिंह, शिक्षा मित्र धीरज कुमार व शुशीला देवी पदास्थापित हैं। वैसे बच्चों की उपस्थिति एक तिहाई लगभग रहती है।
…कहते हैं ग्रामीण
नौगढ़। विद्यालय भवन के अभाव में बच्चे खुलें में पढ़ने को विवश हैं। जाड़ा, गर्मी, बरसात सभी मौसम में बच्चों को परेशानी होती है। विद्यालय में मध्याह्न भोजन का अनाज दूसरे के घर में रखा जाता है,जिससे हेरफेर होने की सम्भावना बनी रहती है। ग्रामीण शशि प्रसाद, सुरेश राम, सुक्खू, राजेश, सुजीत ने बताया कि विद्यालय भवन के अभाव में शिक्षक के साथ छात्र को पठन पाठन में परेशानी हो रही है। विभागीय उदासीनता के कारण आज तक भवन का निर्माण नहीं हो पाया है।
…क्या कहते हैं अफसर
नौगढ़। खंड शिक्षा अधिकारी नौगढ़ ने बताया कि अभी नयी तैनाती हुई है और मेरा प्रयास होगा कि विद्यालय निर्माण में जो भी अवरोध है उसे दूर कर विद्यालय का निर्माण मुकम्मल करा दिया जाए, ताकि बच्चों की शिक्षा में आ रही दिक्कतें दूर हो सके।
Photo & Content Credit: Saddam