धानापुर। धानापुर साहित्यिक मंच की ओर मंगलवार को कस्बा स्थित कैम्प कार्यालय पर हिन्दी दिवस के मौके पर हिन्दी संवाद विषयक गोष्ठी का आयोजन किया। इस दौरान वक्ताओं ने हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा मिलने के ऐतिहासिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आजादी मिलने के बाद सबसे बड़ा सवाल था कि किस भाषा को राष्ट्रीय भाषा बनाया जाए। काफी विचार-विमर्श करने के बाद 14 सितंबर सन 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया। इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 343(1) में किया गया है, जिसके अनुसार भारत की राजभाषा ‘हिंदी’ और लिपि ‘देवनागरी’ है। सन् 1953 से 14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत हुई। धानापुर साहित्यिक मंच के संयोजक एम अफसर खान ने कहा कि महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। सन् 1918 में हिंदी साहित्य सम्मेलन में महात्मा गांधी ने हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने की वकालत की थी। जब हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया, तब देश के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रसाद ने हिंदी के प्रति गांधी के प्रयासों को याद किया। भारत देश के नागरिक होने के नाते हम सबका कर्तव्य बनता है कि हम हिंदी को आगे बढ़ाने का प्रयास करें। अपने काम-काज की भाषा के रूप में हिंदी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। इस दौरान तबरेज खान, उपेंद्र कन्नौजिया, आक़िफ़ खान, नसीरुल होदा खान, नदीम खान, आमिर सुहेल, रकीम खान, एहतशम आदि मौजूद रहे।