चंदौली। फेसबुक व वाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सरकारी की पाबंदियां बढ़ने लगी है। ऐसा पहला अवसर नहीं है जब सोमवार की देर शाम सरकार ने फेसबुक, वाट्सऐप और इंस्ट्राम जैसे सोशल साइट को बंद कर दिया। इससे फोटो, वीडियो सहित टेक्सट मैसेज आदि का आदान-प्रदान पूरी तरह से ठप हो गया। इससे लोगों के कामकाज पर बुरा प्रभाव पड़ा और लोग काफी हलकान रहे। यह पाबंदी लखीमपुर खीरी में किसानों को रौंदकर मारने की घटना के बाद पनपे तनाव के मद्देनजर लगाया गया है। क्योंकि सपा-कांग्रेस के साथ ही किसान दलों ने पूरे सूबे में सरकार का पुरजोर प्रतिकार किया और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री समेत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांग डाला। इस दरम्यान जिलों में जगह-जगह धरना-प्रदर्शन, अरेस्ट-हाउस अरेस्ट, पूतला दहन, पुलिस-प्रशासन से गुत्थमगुत्थी जैसी वारदातें हुई, जिसके प्रसार को निष्प्रभावी करने के लिए सरकार ने फेसबुक और वाट्सऐप को पूरी तरह से बंद कर दिया है।
एक दौर था जब सोशल मीडिया प्लेटफार्म भाजपा की सबसे बड़ी मददगार थी। भाजपा संगठन व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोशल मीडिया के जरिए हुए लोगों तक अपनी पहुंच को पुख्ता बनाने में सफल रहे है और उनके द्वारा सोशल मीडिया पर वर्तमान सरकार के खिलाफ ऐसा माहौल तैयार किया गया कि जनता का रुझान एकाएक भाजपा की तरफ हुआ और वह प्रचण्ड बहुमत से केंद्रीय सत्ता में लौटी और काफी दिनों तक इसी सोशल मीडिया के लिए अपने वर्चस्व को लोगों के बीच कायम रखा। लेकिन कुछ समय बाद भाजपा के इसी पैने हथियार को उसके खिलाफ इस्तेमाल में लाया जाने लगा। अब तो हालात यह है कि सोशल मीडिया भाजपा और सरकार के गले की हड्डी बन गयी है। इससे निजात पाने के लिए कानूनों में सख्ती के साथ इन पर पाबंदियों का फंसा सरकार तेजी से कसती जा रही है। हाल में लखीमपुर खीरी में हुई वारदात से खराब हुई सरकार की साख को बचाने के साथ ही सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव व प्रियंका गांधी समेत तमाम दिग्गज नेताओं की गिरफ्तारी के अलावा किसान संगठनों के आंदोलन व प्रतिकार के कारण पनपे तनाव के प्रसार को रोकने के लिए सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म को एक बार भी बंद कर दिया। पाबंदियां देर शाम एक-एक कर प्रभावी हुई तो लोगों को पता भी नहीं चला। लेकिन जब लम्बा वक्त गुजरता तो लोगों को इसकी जानकारी हुई टेनिफोनिक बातचीत में लोगों को यह जानकारी हुई कि लखनऊ, कानपुर व वाराणसी समेत तमाम छोटे-बड़े शहरों के साथ लगभग पूरे यूपी में सोशल मीडिया प्लेटफार्म को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इससे लोगों की दुश्वारियां काफी बढ़ गयी है जिन लोगों का अधिकांश वक्त फेसबुक वाट्सऐप पर गुजरता था उनके लिए उनका महंगा मोबाइल फोन डब्बा हो गया। कामकाजी लोगों ने सूचनाओं का आदान-प्रदान टेलीफोनिक बातचीत व सामान्य मैसेज के जरिए किया।