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Sunday, December 22, 2024

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जिला पंचायत की बैठक में जमकर हुआ हंगामा‚ सपाई–भाजपाई भिड़े

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हंगामे के बीच 39 करोड़ की परियोजनाओं पर मुहर
चंदौली। जिला पंचायत सभागार में बुधवार को आयोजित जिला योजना समिति की बैठक हंगामेदार रही। आरोप-प्रत्यारोप के दरम्यान सपा और भाजपा के लोग आपस में भिड़ गए, जिससे सदन का माहौल गरमा गया। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही करीब आधा घंटे तक बाधित रही। माहौल बिगड़ता देख वहां मौजूद अन्य लोगों ने पहल करके मामले को शांत किया। दिलचस्प बात यह कि यह सबकुछ जिला पंचायत सदन के अध्यक्ष दीनानाथ शर्मा के अलावा सीडीओ अजितेंद्र नारायण, अपर मुख्य अधिकारी कमलेश सिंह समेत तमाम जिला पंचायत सदस्यों की मौजूदगी में घटित। हंगामे के बाद भी सदन में सभी प्रस्तावों को चर्चा के उपरांत स्वीकृत कर लिया गया, जिस पर 39 करोड़ का बजट खर्च किया जाना अनुमानित है।


विदित हो कि बुधवार को जिला पंचायत कार्यालय सभागार में जिला पंचायत की बैठक बुलाई गयी थी। इसके पीछे मंशा यह थी कि जिला पंचायत सदस्य सदन के पटल पर चंदौली के विकास की कड़ी में अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को रखेंगे। बैठक की शुरुआत होते ही सपा खेमे के लोग सरकार पर हमलावर रहे। सपा नेताओं ने प्रस्ताव दिए जाने के बाद भी उस पर कार्यवाही नहीं होने का आरोप लगा रहे थे। यह बात वहां मौजूद भाजपा नेताओं को नागवार गुजरी और वहां तू-तू , मैं-मैं इस कदर बढ़ी की सदन हंगामें के शोर से गूंज उठा। दिलचस्प बात तो यह रही कि सपा और भाजपा की ओर से जो लोग सदन में हंगामा कर रहे थे उनमें से कोई भी सदन का सदस्य नहीं था। चाहे वह सपा के दशरथ सोनकर हो या भाजपा के मृत्युंज सिंह दीपू व इंदल सिंह बाबा। जिला पंचायत के मुताबित सभी सदस्य पति हैं यानी जिला पंचायत के प्रतिनिधि के रूप में उनकी मौजूदगी बैठक में थी। लेकिन इनके द्वारा जनता से जुड़े मुद्दे उठाने की बजाय पार्टी के नाम पर हंगामा किया गया। एकबार तो ऐसा लगा कि मामला और तूल पकड़ेगा, लेकिन अन्य सदस्यों ने किसी प्रकार समझा-बुझाकर मामले को शांत किया। इस हंगामे पर सपा के जिला पंचायत सदस्य अंजनी सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार में गरीब और मजलूम की आवाज़ उठाना गुनाह लग रहा है, तभी तो सदन में सपा के सदस्य के साथ ऐसा व्यवहार किया गया, जो काफी निंदनीय है। इस सम्बन्ध में जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी कमलेश सिंह ने बताया कि सदन की गरिमा का ख्याल रखना सभी सदस्यों का नैतिक दायित्व है। सदन में इस तरह हंगामा करना अनुचित है। आगे से इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि बैठक के लिए नामित सदस्यों को ही शामिल किया जाए, ताकि ऐसी विषम उपरिस्थति उत्पन्न न होने पाए।

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