चंदौली: कहते है इश्क़ और मुश्क छुपाये नही छुपते अगर आशिक़ अपराध अपराध को अंजाम देना चाहता हो तो तो और भी मुश्किल हो जाता है।अपराध करते समय कोई न कोई सुबूत छोड़ ही देता है. चंदौली के टावर टेक्नीशियन अपहरण कांड में भी कुछ ऐसा ही हुआ. पुलिस ने एक ब्लाइंड केस को अपराधी की गलतियों की वजह से पकड़ लिया और 24 घंटे में ही इसका पर्दाफाश भी कर दिया. पुलिस खुलासे की मानें तो टेक्नीशियन दीपक ने खुद के अपहरण की कहानी प्लान थी,
अपर पुलिस अधीक्षक दयाराम सरोज ने पुलिस लाइन में रविवार को मामले का खुलासा करते हुवे बताया प्रथम दृष्टया पुलिस को लगा ये खुद से अपहरण करने का प्रयास है इसी आधार पे पुलिस ने जांच को आगे बढ़ाया और मुखबिर सर्विलांस के ज़रिए मामले की पड़ताल शुरू किया और कामयाबी हासिल की ।
टावर के तेल का खेल कर रहे दीपक ने अपने काम को और विस्तार व एकक्षत्र राज के लिए भाजपा के गोपाल सिंह बबलू व अन्य को अपने अपहरण के साजिश में फंसा कर जनपद सहित अन्य जगहों पे अकेले अपने देख रेख में टावर को चलाकर गलत तरीके से होने वाले आय को बढ़ाने की कोसिस कर रहा था ।अपने की साजिश कर वह मथुरा के वृंदावन में रह कर अपनी गर्ल फ्रेंड को बुलाने के फिराक था लेकिन अपने ही बुने जाल में खुद उलझ गया मथुरा पुलिस के सहयोग से गिरफ्तार कर जनपद लाया गया दीपक कुमार सिंह द्वारा फर्जी दस्तावेज / पहचान पत्र पर फर्जी सिम लेकर उसका उपयोग किया गया जिसके सम्बन्ध में दीपक कुमार सिंह के विरुद्ध थाना मुगलसराय में धारा 420/467/468/201 पंजीकृत कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है । मामले को सुलझाने में इंस्पेक्टर मुग़लसराय राजीव रंजन उपाध्याय स्वाट टीम प्रभारी राजीव प्रताप सिंग शैलेन्द्र सिंह विपिन सिंह व अन्य शामिल रहे
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दीपक की स्विफ्ट डिजायर कार मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के डांडी में पड़ी मिली. मौके से उसके मोबाइल फोन भी बरामद कर लिए गए थे. भाई संदीप सिंह ने मुगलसराय कोतवाली पुलिस को भाजपा से जिला पंचायत सदस्य गोपाल सिंह बबलू उसके भाई विजय सिंह व अन्य साथियों के खिलाफ नामजद तहरीर दी, जिसके बाद पुलिस ने तत्काल इन लोगों को पूछताछ के लिए उठा लिया. लेकिन घंटों की पूछताछ के बाद भी अपहरण की घटना से जुड़े कोई सुबूत नहीं मिले. पुलिस की छानबीन में गाड़ी मिलने की जगह का सीसीटीवी फुटेज खोजा गया. लेकिन उसमें अपहरण की जैसी वारदात नहीं दिखी. गाड़ी सड़क किनारे खड़ी होते हुए दिखाई दी. इसके अलावा एक महीने पुराना कॉल रिकॉर्डिंग सामने आया, जिसमें दीपक खुद साजिशन गोपाल सिंह को धमकाने के लिए उकसाता सुनाई दिया.
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आधा दर्जन लड़कियों के संपर्क में था दीपकपुलिस ने बताया कि जांच का ट्रैक चेंज करने और पूरी घटना को संदिग्ध मानकर जांच शुरू करने पर कई चीजें अधिक स्पष्ट हो गई. साथ ही परत दर परत घटना खुलनी शुरू हुई. जानकारी जुटाने पर पता चला कि दीपक अय्यास किस्म का व्यक्ति है. एक दो नहीं, बल्कि आधा दर्जन से ज्यादा लड़कियों से इसके संपर्क है. सभी को ट्रेस करने पर पता चला कि अन्य नम्बर उससे बात करता मिला, जिससे इसकी लोकेशन ट्रेस की गई तो यह मथुरा के वृंदावन में मिला. जहां एक फ्लैट लेकर रह रहा था और अगले एक महीने के लिए वो बुक था. इसके बाद तत्काल मथुरा पुलिस से संपर्क साधकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया. साथ ही उसे लाने के लिए चंदौली से पुलिस टीम भेज दी गई.अधिक मुनाफे को आरोपी टेक्नीशियन ने रची खुद के अपहरण की साजिशअधिक मुनाफे को आरोपी टेक्नीशियन ने रची खुद के अपहरण की साजिशइसे भी पढ़ें – अपह्रत इंजीनियर का नहीं लगा सुराग, अपहरण या प्रोपेगैंडा के तिलिस्म में उलझी पुलिसवृंदावन में अय्यासी का तैयार था प्लेटफार्मबताया जा रहा है कि अपहरण के दिन दीपक ने अपनी गाड़ी को आराम से डांडी में सड़क पार्क किया. उसके बाद ऑटो से वाराणसी पहुंचा, जहां लक्जरी बस से मथुरा पहुंचा. वहां से वृंदावन पहुंच कर एक महीने के लिए फ्लैट बुक किया. यहीं उसने एक ही दिन में ऐश ओ आराम के लिए ढ़ाई लाख रुपये की खरीदारी कर डाली और अपनी अय्यासी के लिए पूरा प्लेटफॉर्म तैयार कर लिया था और जल्द ही वह अपने गर्लफ्रेंड को भी वहां बुलाने की फिराक में था.
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आईटीआई पास टावर टेक्नीशियन दीपक करोड़ों का मालिक था और लक्जरियस लाइफ जीता था. 15 हजार की सैलरी पाने वाला 15 लाख रुपये महीने तेल के खेल से कमाता था. लेकिन उसके इस खेल में भाजपा नेता गोपाल सिंह बाधक बन गया था. ऐसे में दबंगई के चलते उसकी अवैध कमाई कम हो गई थी. वहीं, गोपाल के लोगों के पास भी 3 टावर का काम था, जहां से इसे मनमाफिक मुनाफा नहीं मिल पाता था. इस बात को लेकर गोपाल और दीपक के बीच कई बार कहासुनी भी हुई थी. लेकिन गोपाल की दबंगई के आगे उसकी एक न चली.गोपाल सिंह को फंसाने के लिए रची अपहरण की साजिशपुलिस ने बताया कि आरोपी ने गोपाल को रास्ते से हटाने के लिए साजिश रची थी और अपने ही अपहरण की पूरी कहानी प्लान कर ली, ताकि अपहरण के आरोप में गोपाल जेल चला जाए और उसका काम छीन जाए. इसके बाद नाटकीय घटनाक्रम के बाद पुलिस के सामने पेश हो जाएगा और फिर अपने लोगों के माध्यम तेल के खेल में एक छत्र राज करेगा. लेकिन वह खुद ही अपने बुने जाल में फंस गया.एक टावर से होती है 50 हजार की अवैध कमाईदीपक के पास 27 टॉवर की जिम्मेदारी है. एक टावर पर तेल के खेल से 50-60 हजार रुपये की अवैध कमाई होती है. ऐसे में हर महीने लाखों का वारा न्यारा होता है. यहीं नहीं टेक्नीशियन दीपक वाराणसी चंदौली समेत आसपास के जिलों का टेक्नीशियन संगठन का लीडर भी है. इंडस कंपनी के पास करीब 400 टावर का ठेका है. इसके बरामदगी न होने की सूरत में विरोध स्वरूप सभी कंपनियों के टावर बंद करने की भी बड़ी साजिश थी. लेकिन पुलिस ने समय रहते मामले का पर्दाफाश कर दिया.