चंदौली। मेडिकल क्षेत्र की एक ऐसी उपलब्धि हासिल करने जा रहा है। जो ऐतिहासिक है। अगले आठ महीने में जिले में पहला आईवीएफ़ बेबी जन्म लेने जा रहा है। यह संभव हुआ है सैम हॉस्पिटल और इंदिरा आईवीएफ़ के सौजन्य से जिनके यहां हाल ही में उपचाररत पाँच दंपतियों को मात्र तीन महीने की प्रक्रिया में पॉजिटिव परिणाम मिले हैं। सैम-इंदिरा के प्रबंधक ने बताया कि कि अगले आठ महीनों में चंदौली में पहला आईवीएफ़ बेबी जन्म लेने वाला है। जो जिले के स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में दर्ज होगा।
इन पांच दंपतियों में एक ऐसा दंपति भी शामिल है। जो बीस वर्षों से संतान सुख से वंचित था। पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों के तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें निराशा ही हाथ लगी। लेकिन सैम हॉस्पिटल के आईवीएफ़ सेंटर ने उनके जीवन में आशा की नई किरण जगा दी। नाम न छापने की शर्त पर दंपत्ति ने कहा कि हम अपनी खुशी को शब्दों में बयान नहीं कर सकते हैं। हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था हमारे जिले में ऐसा उपचार संभव हो पाएगा। सैम हॉस्पिटल की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ और आईवीएफ़ विशेषज्ञ डॉ. अज्मे ज़हरा का कहना कहा कि यह उपलब्धि सिर्फ चिकित्सा विज्ञान की नहीं, बल्कि मरीजों की उम्मीद और विश्वास की जीत है। तीन महीने में पॉजिटिव परिणाम यह दर्शाता है। कि सही मार्गदर्शन और विशेषज्ञता के साथ निःसंतानता का दर्द हर किसी के लिए चुनौती नहीं रह सकता। यह दंपतियों के जीवन का सबसे बड़ा तोहफ़ा है। सैम हॉस्पिटल के संचालक डॉ. सी. जी. इमाम ने इस सफलता को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा की चंदौली के लोग बड़े शहरों की ओर जाने की आवश्यकता नहीं महसूस करेंगे। यह सेंटर न सिर्फ जिले बल्कि पूरे पूर्वांचल के लिए संतान सुख की नई राह खोलेगा।