चन्दौली। सपा के राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह डब्लू रविवार को भाजपा सरकार पर हमलावर रहे। सैयदराजा के रामलीला मैदान पर आयोजित किसान पंचायत में सरकार को किसान विरोधी करार दिया। आरोप लगाया कि सरकार ने आय दोगुनी करने की बात कहकर किसानों को सड़क पर लाने का काम किया है। भाजपा के लोग मंच पर किसानों के हितैषी होने का कसीदा पढ़ते हैं और किसान विरोधी कृत को अंजाम देते हैं। विरोध करने पर किसानों को लग्जरी गाड़ियों से रौंदने का काम भी भाजपा और भाजपा के लोगों ने ही किया है जो इतिहास के पन्नों में खून से लिख दिया गया है।इसके पूर्व मनोज डब्लू ने शहीद स्मारक पे शीश नवाया।
इस दौरान मनोज सिंह डब्लू ने कहा कि किसान से बड़ा तपस्वी, त्यागी व धैर्यवान कोई दूसरा नहीं है। वह धरा की श्रृंगारकर्ता है। किसान अपनी कड़ी मेहनत व बाजुओ के बल पर हल से सूखी व बेजान पड़ी धरती का सीना चीर कर उसे उपजाऊ व हरा-भरा बनाता है। बंजर भूमि से अनाज पैदा कर इंसान का पेट भरता है। वह खुद सूखी रोटी खाकर दूसरों को सुखी रहने की कामना करता है। प्रकृति किसानों के मेहनत पर बार-बार चोट करती है। बावजूद इसके किसान अपना धैर्य नहीं खोता। वह अपने दुख-दर्द को त्यागकर फिर से खेती-बारी में जुट जाता है, ताकि संसार में कोई भूखा ना रहने पाए।किसान हरी पगड़ी इस लिए पहनता है क्योंकि वह विश्वास, उर्वरता, खुशहाली, समृद्धि व प्रगति के प्रतीक है। वह अपने कर्म व कड़ी मेहनत से न केवल अनाज उपजाता है, बल्कि धरती को हरा-भरा बनाकर उसकी श्रृंगार भी करता है। भाजपा सरकार व उसके प्रधानमंत्री ने किसानों की आय दोगुनी करने का भरोसा दिया और सत्ता में लौटे। लेकिन आज किसानों की आय बढ़ाने की बजाय उन्हें सड़क पर लाने का काम किया है। किसान पिछले 11 महीनों से सड़क पर आंदोलित है, लेकिन सरकार इन किसानों को विश्वास में नहीं ले पायी और नारे में सबका विश्वास जोड़कर देश की जनता को गुमराह कर रही है। लिहाजा ऐसी किसान विरोधी सरकार को सत्ता से दूर करना देश के एक-एक नागरिक का नैतिक कर्तव्य है। आज इसी आह्वान को मुकाम देने के लिए हम सभी यहां जुटे हैं। कहा कि तिरंगे के तीन रंग हमें बड़ा संदेश देते हैं, केसरिया शौर्य का प्रतीक है। वहीं सफेद शांति और हरा संपन्नता और खुशहाली का प्रतीक है। तिंरगे के इन मानकों पर खरा नहीं उतर पाई। सरकार का विरोध करने वालों का दमन किया। उन्हें जेल में डाला, फर्जी मुकदमें किये। अपराध को संरक्षण देकर देश की शांति व्यवस्था को भंग कर दिया। संपन्नता का हाल इस देश की जनता भली भांति जानती है। बेकाबू हुई बेरोजगारी ने देश को भुख मरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।