Young Writer, चंदौली। हिन्दी साहित्य जगत को अपनी रोशनी से जगमग करने वाले साहित्य के कई सितारे रविवार की शाम काशी का हिस्सा रहे पावन बाबा कीनाराम की धरती चंदौली में एक साथ टिमटिमाएंगे। ऐसा दुर्भल अवसर कभी-कभार देखने को मिलता है जब देश के अलग-अलग हिस्सों में अपने विविध लेखन विधा से समाज को जागृत करने, झंझोरने व उन्हें सही दिशा देने वाले साहित्यकार एक साथ, एक स्थान पर ऐसे जमा हों, लेकिन यह दुर्भल क्षण रविवार की शाम चंदौली में गुजरेगा, जब देश की राजधानी दिल्ली से लगायत देश की प्राचीन राजधानी रहे कोलकाता तक के साहित्यकार व वरिष्ठ पत्रकारों का जमघट लगेगा। अवसर मांगलिक है और स्थान भी मंगलम है। ऐसे में जब अलग-अलग विधाओं व विचारों के विद्वत साहित्यकार जुटेंगे तो जाहिर है कि राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे मुद्दों पर बहस होगी। कुछ हिन्दी साहित्य की बातें होंगी और उसमें आ रहे बदलाव पर कुछ चिंतन-मंथन होगा।
दरअसल चंदौली जनपद के खखड़ा निवासी ललित निबंधकार डा. उमेश प्रसाद सिंह जिनकी ख्याति उन तमाम लोगों की पहुंच में है जो साहित्य में रूचि रखते हैं। अपनी विधा के पारंगत व पारखी साहित्यकार की पुत्री संज्ञा सिंह का विवाह कार्यक्रम चंदौली मुख्यालय स्थित मां शारदा मंगलम लॉन में रविवार की शाम होना सुनिश्चित है। इस पावन बेला में नवदाम्पत्य जीवन में प्रवेश कर रहे वर-वधू को आशीर्वाद देने के लिए दिल्ली व काशी के साथ-साथ कोलकाता से आ रहे दिग्गज साहित्यकारों का जमावड़ा लगेगा। पारिवारिक घनिष्टता रखने वाले पथ पुस्तक के संपादक व वरिष्ठ साहित्यकार एल. उमाशंकर सिंह ने बताया कि मांगलिक कार्यक्रम में दिल्ली के वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र राजन, दिल्ली के ही मदन कुशवाहा, चेनल-9 के मालिक हेमंत शर्मा, दिल्ली से ही जनसत्ता के वरिष्ठ सम्पादक सूर्यनाथ सिंह, काशी की धरती से साहित्यकार प्रो. रामप्रकाश कुशवाहा, वरिष्ठ पत्रकार ओम धीरज व हिमांशु उपाध्याय, वाराणसी से साहित्यकार एवं वरिष्ठ राज भाषा अधिकारी बीएलडब्लू डा. संजय गौतम, कोलकाता के वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मण केडिया समेत कई दिग्गज साहित्यकारों का जमावड़ा चंदौली स्थित मां शारदा मंगलम लान में लगेगा। आने वाला यह क्षण दुर्लभ होगा और उस दरम्यान चर्चा-परिचर्चा, व्यंग्य का एक-एक शब्द साहित्य के रस में डूबा रहेगा। विचारों में विरोधाभास के साथ-साथ मुद्दों के समर्थन की मिठास भी सुनने को मिलेगी। बताया कि कार्यक्रम पूर्णतः मांगलिक है लेकिन जब अलग-अलग स्थान से जुट रहे विविध विधा के साहित्यकारों के इतने विचारों का संगम व समागम होगा तो कुछ न कुछ नया साहित्य के पटल पर जरूर दिखेगा। यह क्षण साहित्य में रूचि रखने वाले उन तमाम लोगों के बेहतर कीमती होगा, जिसे वह सदैव के लिए अपने स्मृति में कैद करना चाहेंगे।