मुगलसराय विधानसभा से सपा का चेहरा बन सकते है सिद्धांत
चंदौली। व्यापार और व्यापारियों की सुरक्षा व संरक्षा से ही देश सशक्त होगा। बावजूद इसके सत्तासीन सरकार व्यापारियों को सुरक्षा नहीं दे पायी। भाजपा की केंद्र सरकार अपनी दूसरी पारी खेल रही है, जबकि यूपी की सरकार की विदाई का वक्त भी आ गया, लेकिन इन सरकारों ने व्यापार व व्यापारियों के हित में कोई कार्य नहीं किया। आज व्यापारी अपने सुरक्षा को लेकर सशंकित व डरा हुआ है, क्योंकि सरकारें व्यापारियों को भरोसा में नहीं ले पायी। अपराध व आर्थिक जगह की उथल-पुथल ने देश के व्यापारियों की नींव को हिलाकर रख दिया है। लगातार हो रही आत्महत्याएं इसका प्रमाण है कि सरकार ने व्यापार जगत को गर्त में डूबो दिया है। ऐसा मानना है समाजवादी नेता सिद्धांत जायसवाल की, जो इस वक्त वैश्व समाज में समाजवाद का अलख जगा रहे हैं, जो इन दिनों चंदौली में समाज के बिखरे हुए एक-एक धागे को बुनकर एक मजबूत गांठ तैयार करने की दिशा में अग्रसर है।
इनका राजनीतिक जीवन काफी शानदार रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने राजनीतिक की शुरुआत छात्र जीवन में ही कर दी थी। वाराणसी के हरिश्चंद्र पीजी कालेज में महामंत्री का चुनाव लड़े तो अपनी जीत सुनिश्चित करने के साथ-साथ समाजवादी पार्टी का पूरा पैनल जिता ले गए। उस वक्त उनके शानदार नेतृत्व से प्रभावित होकर तत्कालीन युवजन सभा के अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद छात्र संघ कार्यालय का उद्घाटन करने काशी आए और सिद्धांत के राजनीतिक कौशल से वह अपनी बार रूबरू हुए। इसके बाद सिद्धांत ने राजनीति में कभी भी पीछे पलट कर नहीं देखा। उन्हें कुछ ही दिनों सपा छात्र सभा के प्रदेश सचिव का दायित्व दे दिया गया। इसके साथ-साथ अखिलेश यादव ने इन्हें गौरखपुर गढ़ की जिम्मेदारी सौंपी। गौरखपुर यूनिवर्सिटी में लम्बा समय देते हुए इन्होंने समाजवाद के पौध को वहां सींचा और उसकी शाखाएं फैलाने का काम किया। 2009 में जब डिम्पल यादव चुनाव लड़ी तो इन्हें सिकोहाबाद का प्रभारी बनाया गया। उस वक्त अखिलेश यादव ने सिद्धांत जायसवाल की एक और खूबी से परिचित हुए। सिद्धांत के बारे में कहा जाता है कि ये नाराज व रूठे हुए साथियों का हूनर जानते हैं। 2012 में इन्हें मुलायम सिंह यादव से मिलने का मौका मिला। उस वक्त उन्होंने राजनीति की स्थिरता, धैर्य व बहुत कुछ सीखने को मिला। 2017 में सपा ने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ी तो सिद्धांत को 10 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी मिली।
शानदार है अब तक राजनीतिक सफर
चंदौली। विधानसभा चुनाव-2022 के मद्देनजर सिद्धांत वैश्व समाज में समाजवाद का अलग जगाने के मिशन पर निकले हैं। चंदौली के विधानसभा मुगलसराय में वैश्व समाज के 70 से 80 हजार मतदाता हैं और मुगलसराय में इसकी बाहुल्यता अधिक है। लिहाजा वह अपने मिशन में पूरी शिद्दत के साथ जुट गए हैं। उनका कहा है कि व्यापार व व्यापारियों की मजबूती के वादे व इरादे के साथ सपा विधानसभा चुनाव लड़ रही है। आरोप लगाया कि सत्तासीन भाजपा ने हमेशा वैश्व समाज के वोटों पर सत्ता हासिल की, लेकिन आज तक व्यापारियों के हित में कार्य करना की इच्छा नहीं करना चाहा। यदि वजह है कि वैश्व समाज आज अपना राजनीतिक अस्तित्व तलाश रहा है। बताया कि यदि मुगलसराय विधानसभा चुनाव का प्रतिनिधित्व का मौका मिला तो यहां के व्यापारियों की समस्या को दूर किया जाएगा।
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काफी मजबूत है राजनीति पक्ष
चंदौली। समाजवादी पार्टी के सूत्रों की माने तो सिद्धांत जायसवाल मुगलसराय विधानसभा से चुनाव लड़ने के आकांक्षी है। यदि उन्हें पार्टी टिकट देती है तो वैश्व समाज का झुकाव तो होगा। साथ ही छात्र राजनेता भी सिद्धांत के चुनावी दांव को मजबूती देने का काम करेंगे। वह रामनगर के मूल निवासी है और वाराणसी महानगर समेत वहां संचालित विश्वविद्यालयों में उनकी पैठ व पहुंच का सीधा लाभ उनके चुनाव प्रचार को मिलेगा। ऐसे में समाजवादी पार्टी द्वारा उन्हें उम्मीदवार चुने जाने की संभावनाओं से इन्कार नहीं किया जा सकता है। लेकिन सिद्धांत जायसवाल यह कहते है उनकी दावेदारी वह खुद नहीं, बल्कि मुगलसराय विधानसभा के लोग करेंगे। उन्हें इस बात का भरोसा है कि यदि समाजवादी पार्टी उन्हें अपना चेहरा बनाती है तो चंदौली का सपा संगठन मेरी उम्मीदवारी को जीत में बदल देगा। क्योंकि यहां के सशक्त संगठन में दंभ है कि वह अपने जुझारू नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ व सहयोग से सपा के झंडे को बुलंद करने में पीछे नहीं हटेंगे।