Young Writer, उन्नाव। उन्नाव के दरोगा उमेश त्रिपाठी इन दिनों सुर्खियों में हैं और सस्पेंड भी चल रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया जो शायद उन्हें पुलिस पाठशाला जैसे प्रोग्राम में नहीं कहना चाहिए। उन्होंने विभागीय अफसरों व बच्चों के सामने अपने वक्तव्य में कह डाला कि पुलिस काफी ईमानदार है। यदि पैसे लेती है तो काम की गारंटी देती है, जबकि अन्य सरकार विभागों के साथ ऐसा नहीं है। उन्होंने शिक्षकों को बतौर नजीर पेश किया। कहा कि गुरुजी लोग का छह माह छुट्टियों में कट जाता है और कोरोना जैसी बीमारी आ जाते तो साल भी स्कूल नहीं जाते, जबकि इसके उलट पुलिस की ड्यूटी बढ़ जाती है।
उन्नाव के सरकारी स्कूल में बीघापुर थाना पुलिस द्वारा लगाए गए पुलिस पाठशाला का वीडियो धड़ाधड़ वायरल हुआ तो मामला उन्नाव एसपी तक पहुंचा। विभाग की होती फजीहत को देख उन्होंने उपनिरीक्षक उमेश त्रिपाठी को सस्ंपेड करते हुए मामले की जांच की जिम्मा सीओ बीघापुर को सिपुर्द कर दिया। एसपी ने इस कार्यवाही से विभागीय फजीहत को रोकने व डैमेज कंट्रोल का भरपूर प्रयास किया। बावजूद इसके यह मामला सूबे से राष्ट्रीय पटल पर आ गया है। फिलहाल इस वीडियो को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं है। कुछ लोग जहां इस बयान को शर्मनाक बता रहे हैं। वहीं कुछ का कहना है कि एसआई उमेश त्रिपाठी के भाषण का व्यवहारिक पक्ष बिल्कुल सही है। आज किसी भी सरकारी महकमे में बिना कोई लेन-देन किए आम पब्लिक का काम होने वाला नहीं है। सरकारी शिक्षकों के बारे में कही गयी उनकी बात वास्तविकता को बल प्रदान करती है, लेकिन इसे ऐसे मंच से नहीं कहा जाना चाहिए। क्योंकि वहां स्कूली बच्चे भी पुलिस पाठशाला में शामिल थे। हालांकि पाठशाला के वीडियो को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उपनिरीक्षक द्वारा कही गयी बातों पर पुलिस महकमे के साथ शिक्षकगण व बच्चों ने जमकर ठहाके लगाए, जो वीडियो में साफ दिखा रहा है।
उन्नाव के उपनिरीक्षक के भाषण का अंश
‘‘पुलिस पैसा लेती है तो काम भी करके दिखाती है। पुलिस से अच्छा कोई विभाग ही नही बना। और किसी विभाग में जाओ पैसा ले लेंगे काम नहीं होगा। मास्टर साहब लोगों को देखो घर में रहकर पढ़ाते है। छह महीना घर मे रहकर छुट्टियां भी काटते है और कोरोना आ जाए तो सालभर स्कूल नहीं आते है।’’