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Friday, November 22, 2024

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चकियाः दलितों का उत्थान नहीं कर पाए दलित राजनेता

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सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र के नौगढ़ के लोगों में स्वजातीय नेता के प्रति गहरा आक्रोश

Young Writer, चंदौली। जनपद का चकिया विधानसभा, जो दलित बाहुल्य इलाका है। लिहाजा दलितों का राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ ही उसके उत्थान की बागड़ौर दलितों को सौंपने के लिए चकिया विधानसभा को सुरक्षित किया गया है। देखा जाए तो जब से चकिया विधानसभा में चुनाव हो रहे हैं चकिया का जनप्रतिनिधि दलित ही चुना जा रहा है, लेकिन दुर्भाग्य यह कि आज तक चकिया क्षेत्र खासकर नौगढ़ के दलितों का न तो आर्थिक उत्थान हुआ और ना ही ये सही मायनों में समाज की मुख्य धारा जुड़ पाए। स्थिति यह है कि आज भी अधिकांश दलित आबादी की आजीविका दिहाड़ी मजदूरी, श्रम और जंगल की जलावनी लकड़ियों पर निर्भर होकर रह गयी है, जो यह बताती है कि अब तक जितने भी जनप्रतिनिधि चकिया विधानसभा से चुनकर आए।
उन्होंने जनकल्याण की बजाय स्वकल्याण को प्राथमिकता दी। यही वजह है कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों का जीवन स्तर और भौकाल तो खूब बढ़ा, लेकिन दलित मतदाताओं के जीवन स्तर में बदलाव नहीं हुआ है। यदि दलितों के व्यथा और पीड़ा को उनकी जुबानी सुने तो यह पता चल जाएगा कि इनके अंदर चकिया विधानसभा से चुने गए जनप्रतिनिधियों को लेकर कितना गुस्सा और आक्रोश भरा है। नक्सल प्रभावित नौगढ़ इलाके के ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधि वोट मांगते तो आते हैं, लेकिन जब चुनाव बाद हमें इनकी जरूरत होती है तो ये गायब हो जाते हैं। जिनकी जरूरत नौगढ़ की सुदूरवर्ती पहाड़ोें पर बसे गांव के ग्रामीणों को होती है ये लखनऊ के सरकारी कोठियों को आराम फरमा रहे होते हैं। यदि इनकी मंशा और काम करने की नियत होती तो आज नौगढ़ के गांव खुशहाल होते। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आज भी अधिकांश गांवों में जाने के लिए मुकम्मल रास्ता नहीं है। विकास की सच्चाई को जाननी है तो बारिश के दिनों में नौगढ़ की पहाड़ियों पर बसे गांवों में चले आइए। यहां किसी वाहन से छोड़िए पैदल चलकर गांव तक पहुंच पाना भी मुश्किल भरा कार्य है। बावजूद इसके यहां के ग्रामीण कई दशक से ऐसी दुश्वारियों का दंश झेलते आ रहे हैं। उनका कहना है कि जब दलित मतदाताओं व नागरिकों के साथ ऐसा होना ही था तो चकिया विधानसभा क्षेत्र को दलित राजनेता के लिए सुरक्षित करने के उद्देश्य और औचित्य समझ से परे हैं। कहा कि दलित नागरिकों के उत्थान के लिए बाबा साहब डा. भीमराव जैसे उम्दा व्यक्तित्व की जरूरत है। जो सामाजिक तिरस्कार को बर्दाश्त करते हुए खुद के व्यक्तित्व को स्थापित किया। साथ ही आजादी के बाद दलितों, पिछड़ों व वंचितों के अधिकार के लिए अभूतपूर्व कार्य किए। उनकी बातें करने वाले राजनेता यदि उनकी जीवनी के कुछ अंश को धारण कर लें तो अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित चकिया विधानसभा क्षेत्र के दलित मतदाताओं के जीवन स्तर में बड़ा बदलाव दिखेगा। खैर! हर बार चकिया क्षेत्र के मतदाता इसी उम्मीद के साथ पोलिंग बूथ पर जाते हैं और अपने मत का प्रयोग करते हैं, लेकिन अगले पांच सालों तक वे खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं।

चकिया विधानसभा से अब तक निर्वाचित विधायकों की सूची—-
1. शारदा प्रसाद                भाजपा              2017
2. पूनम सोनकर                सपा                2012
3. जितेंद्र कुमार                  बसपा              2007
4. शिव तपस्या पासवान        भाजपा             2002
5. सत्य प्रकाश सोनकर        सपा                 1996
6. राजेश बहेलिया              भाजपा              1993
7. राजेश बहेलिया              भाजपा              1991
8. सत्य प्रकाश सोनकर        जनता दल          1989
9. खरपत राम                   कांग्रेस              1985
10. खरपत राम                 कांग्रेस               1980
11. श्याम देव                   जेएनपी              1977
12. बेचन राम                   कांग्रेस               1974

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