Young Writer, चंदौली। हाल-फिलहाल चंदौली जनपद सहित पूरे प्रदेश में विधानसभा चुनाव गतिमान है। ऐसे में प्रदेश समेत राष्ट्र में बढ़ते भ्रष्टाचार, बेरोजगारी व गरीबी से आहत समाज के एक चिंतक आशीष कुमार जायसवाल ने नोटा के इस्तेमाल व चुनावों को खत्म करने की वकालत की है। उनका यह तर्क है कि जो लोग चुनकर जाते हैं उनकी योग्यता पर कई सवाल होते हैं। यही वजह है कि चुनावों को लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए लागू किया गया। लेकिन यह आज भ्रष्टाचार को संरक्षण देकर देश में गरीबी व बेरोजगारी बढ़ा रहे हैं। इसके साथ ही देश पर हुकूमत करने वाले अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नियम-कानून को भी बदले जाने पर बल दिया। आशीष अपनी इस मांग से निर्वाचन आयोग को भी अवगत करा चुके हैं।
इस बाबत आशीष कुमार जायसवाल का कहना था कि जो नियम अंग्रेजों ने जनता की गुलामी के लिए बनाए थे, आज भी उसकी मूल रूप में क्रियान्वयन राजनेता अपने स्वार्थ एवं लाभ के लिए कर रहे हैं। आज देश के जो हालात है उसे देखते हुए अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून में संशोधन व बदलाव बेहद आवश्यक है। कहा कि आज अयोग्य राजनेताओं ने देश के शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है, जिसे अनपढ़ व अशिक्षित जनता योग्य जनप्रतिनिधि का चयन करने में खुद को अक्षम पा रही है। एक अच्छे जनप्रतिनिधि के चयन कैसे करें यह समझ नहीं पा रही है। जाति आधारित सरकार बनने पर अन्य जातियों के साथ अराजकता की जाती है, जो समाज में असमानता कायम है। आरोप लगाया कि जनकल्याण के धन को लूट का राजनीति दल व पार्टियां अपने कार्यालय बनाने के साथ ही पार्टी का संचालन कर रहे हैं जो देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। कहा कि देश में चुनाव की प्रक्रिया को समाप्त कर घायल आर्मी अधिकारी, सैनिक, चिकित्सक आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के अलावा वैज्ञानिक, शिक्षक, कलाकार, खिलाड़ी आदि में से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, जिला पंचायत सदस्य व ग्राम प्रधान आदि जनप्रतिनिधि चुने जाने का प्रावधान होना चाहिए। चुनाव समाप्त होने से चुनाव में वोटों की धांधली समाप्त हो जाएगी। साथ ही चुनाव में होने वाला आमजन का धन का खर्च नहीं होगा।