धान खरीद नहीं होने पर चंदौली कलेक्ट्रेट पहुंचे दर्जनों किसान
Young Writer, चंदौली। राकेश टिकैत देश के किसानों के आदर्श बन गए हैं। दिल्ली बार्डर पर केंद्र सरकार के खिलाफ किसान हित में उनकी दृढ़ता ने देश भर के किसानों में अपने हक के लिए आवाज बुलंद करने का जज्बा भरा। यह जज्बा शुक्रवार को चंदौली के किसानों में देखने को मिला। चुनावी सरगर्मी के बीच फौजी मणि देव चतुर्वेदी के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पर भारी संख्या में किसान अपनी धान की उपज लेकर पहुंचे और उसकी खरीद की मांग करने लगे। मामला तनावपूर्ण देख कलेक्ट्रेट पहुंची पुलिस ने धारा-144 का हवाला देते किसानों को गिरफ्तार करने की बात कह दी। पुलिस की यह अप्रत्यक्ष धमकी आग में घी डालने जैसी रही, जिससे तेवर में आए किसानों ने पुलिस वालों को जमकर लताड़ा। कहा कि किसानों की समस्या का निराकरण करने की बजाय गिरफ्तार की धमकी दी जा रही है, जो किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं है। ऐसी धमकियां अब किसानों को डरा नहीं सकती।
इस दौरान किसानों ने जिला प्रशासन व जिला विपणन विभाग पर बड़ा आरोप लगाया। कहा कि गांवों में धान खरीद के लिए स्थापित एक भी क्रय केंद्र भौतिक रूप से संचालित नहीं हो रहे हैं। सारे क्रय केंद्रों पर किसानों की उपज नहीं ली जा रही है। ऐसे में हम किसान अपनी धान की खरीद के लिए कलेक्ट्रेट आए हैं। सरकार धान खरीद को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन कभी भी जिला प्रशासन या जिम्मेदार अफसरों द्वारा धान खरीद को लेकर क्या व्यवस्थाएं की और इसका क्रियान्वयन कितना अच्छा हो रहा है। इसकी पतड़ाल करने की फुर्सत नहीं है। यह सीधे तौर पर किसान हितों की उपेक्षा है। कहा कि अब किसान पहले जैसे नहीं रहे। यदि किसानों के हितों की उपेक्षा की गयी तो किसान खेतों से खुदाल-फावड़ा लेकर सड़क पर उतरे को विवश होगा, तब जिला प्रशासन किसानों के ताप और आक्रोश को बर्दाश्त नहीं कर पाएगा।
कहा कि पुलिस अफसरों द्वारा दी गयी धमकी उनके गैरजिम्मेदाराना कृत्य को प्रदर्शित करती है। उनकी जवाबदेही जनता के प्रति होनी चाहिए, लेकिन वे सत्ता के संरक्षण पाकर इस बात को भुलते जा रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले नौगढ़ जैसे सुदूर इलाके से चलकर आए किसानों ने कहा कि लोगों का पेट भरने वाले किसान जेल भी भर देंगे। गिरफ्तारी की धमकी देकर किसानों को डराने की मुगालफत पुलिस-प्रशासन ना पाले। अंततः किसानों के तेवर को देखते हुए जिला प्रशासन व पुलिस को बैकफुट पर आना पड़ा। किसानों द्वारा ट्रैक्टर-ट्राली पर लाए गए धान की खरीद करते हुए जिला प्रशासन ने शेष उपज को दो दिन के अंदर खरीदने का लिखित आश्वासन दिया, तब जाकर किसानों का गुस्सा शांत हुआ। मंडल प्रवक्ता मणि देव् चतुर्वेदी ने बताया कि यहां सिर्फ पीड़ित किसान है,जो अपना धान शांतिपूर्वक तरीक़े से बेचने आये है। जब तक धान नहीं बिकेगा, साथ ही क्रय केंद्र सुचारू रूप से नहीं चलेगा, तब तक किसान यही मौजूद रहेगा। धान खरीद की स्थित यह है कि बीते एक फरवरी से अघोषित रूप से गांवों में खोले गए सभी क्रय केंद्र बंद चल रहे हैं, जिस कारण खरीद पूरी तरह से ठप है। इसे मामले को जिला विपणन अधिकारी अनूप श्रीवास्तव से अवगत कराया गया, लेकिन वह भी 10 दिनों तक सुस्त पड़े रहे। जिलाधिकारी से बातचीत के बाद 39 किसानों की सूची सौंपी गयी, लेकिन फिर भी धान खरीद की दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं हुई। ऐसे में विवश होकर किसानों को अपने उपज के साथ कलेक्ट्रेट आना पड़ा।