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Friday, November 22, 2024

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फेसबुक वाल से पलट दिया मुगलसराय विधानसभा का समीकरण

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भ्रम के भंवर में फंसी थी सपा में प्रत्याशी चयन को लेकर लोगों की उत्सुकता

Young Writer, चंदौली। सोशल मीडिया इस वक्त सूचना का सशक्त माध्यम बन गया है। साथ ही सबसे ज्यादा भ्रम भी यहीं फैलाया जा रहा है। हाल-फिलहाल जनपद के सपाइयों ने फेसबुक वाल पर ऐसी सक्रियता दिखाई की, खुद उनकी पार्टी के नेता-कार्यकर्ता व आम जनता भ्रम के भवसागर में फंसकर रह गए। जी हां! बात समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी चयन की हो रही है। जिसे लेकर मानो फेसबुक पर एक अघोषित जंग छेड़ दी गयी हो। स्थिति यह रही कि 16 फरवरी की शाम को पूर्व सांसद रामकिशुन के पक्ष में टिकट मिलने की डिजिटल कैम्पेनिंग इतने जोर-शोर से हुई कि लगा कि अबकी बार फिर सपा ने स्वर्गीय गंजी प्रसाद के परिवार के राजनीतिक रसूख भर भरोसा जताया है, लेकिन 17 फरवरी की सुबह एकाएक फेसबुक का माहौल अचानक से बदल गया।

समाजवादी के युवा कार्यकर्ता, नेता व संगठन से जुड़े कुछ प्रमुख चेहरे सयुस जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर यादव के टिकट मिलने की खुशियां बांटने लगे। शुरुआती दौर में इस पर सभी को संदेह हुआ। ऐसे में समाजवादियों के एक धड़े ने दूसरे से इसके साक्ष्य स्वरूप समाजवादी पार्टी से जारी होने वाली प्रत्याशियों की सूची तलब की। हालांकि ऐसी कोई सूची सार्वजनिक नहीं की गयी, जिसमें चंद्रशेखर यादव या फिर रामकिशुन यादव को मुगलसराय से बतौर प्रत्याशी चुने जाने की पुष्टि हो, अंततः समाजवादी पार्टी से प्रत्याशियों की जारी अंतिम सूची का प्रकाशन नहीं हुआ। लेकिन जब यह कारवां निरंतर बढ़ता गया तो फेसबुक वाल के साथ ही मुगलसराय विधानसभा की राजनीतिक सरगर्मी भी करवटें बदलने लगी। स्थिति यह रही कि आखिरकार सयुस जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर यादव माला पहनकर नामांकन करने कलेक्ट्रेट पहुंचे तो यह संदेह स्वतः स्पष्ट हो गया। हालांकि पूर्व सांसद रामकिशुन के पैतृक आवास पर समर्थकों व कुछ दिग्गज सपाइयों जमावड़ा पूर्व सांसद रामकिशुन के आवास पर डंटा रहा। ऐसे में चर्चाएं रही कि पूर्व सांसद रामकिशुन यादव पार्टी के निर्णय के खिलाफ जाकर नामांकन करने वाले हैं, लेकिन चंद्रशेखर यादव के नामांकन के दौरान पूर्व सांसद कलेक्ट्रेट पहुंचे और चंद्रशेखर को अपने आशीष से नवाज कर पार्टी के फैसले का समर्थन किया और उसे सम्मान देने का काम किया। सपा प्रत्याशी चंद्रशेखर यादव के लिए पूर्व सांसद रामकिशुन यादव का आशीष कई मायनों में बेहद अहम रहा। क्योंकि उनके मार्गदर्शन के अभाव में समाजवादी पार्टी के दो फांट होने की आशंकाओं से इन्कार नहीं किया जा सकता। हाल-फिलहाल पटल पर समाजवादी पार्टी एकजुट नजर आ रही है, लेकिन आगे चुनावी संग्राम में कब कौन सी घटना घट जाए। इसके बारे में कुछ भी कह पाना असंभव है। फिलहाल प्रत्याशी चयन के उहापोह पर विराम लग गया है और अब प्रत्याशियों के हार-जीत के कयास लगाए जा रहे हैं।

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