सूची में मृतक दिखाकर परशुरामपुर गोबरियां की वृद्धा का नाम काटा
Young Writer, मुगलसराय। फिल्म ‘कागज’ हर उस इंसान की सच्ची जीवनी है। जिनकी सांसे तो चल रही है, लेकिन वह कागज पर मृत हो चुके थे। इस फिल्म की दृश्य की पुनरावृत्ति सोमवार को मतदान के दौरान परशुरामपुर गोबरिया स्थित बूथ पर देखने को मिली। जहां मतदान के लिए पहुंची राधिका देवी 74 वर्ष स्वयं मौजूद थी। लेकिन बीएलओ ने यह कहते हुए उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया कि मृत होने के उनका नाम मतदाता सूची से डिलीट कर दिया है। जबकि राधिका देवी मतदाता पहचान पत्र व अपने आधार कार्ड के साथ ही वृद्धावस्था में पूरे उत्साह के साथ वोट डालने आयी थीं, लेकिन बीएलओ की बातों को सुनकर निराश मन से लौट गयी। ऐसी न जाने कितनी राधिका देवी होंगी, जो सातवें चरण में जिंदा होते हुए भी वोटर लिस्ट में मृत घोषित की जा चुकी हैं। यह एक गंभीर विषय है, जिस पर जिला प्रशासन व निर्वाचन कार्यालय को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
विदित हो कि सात मार्च को सुबह सात बजे मुगलसराय विधानसभा क्षेत्र में मतदान की प्रक्रिया शुरू हो गयी। इसके साथ ही मतदाता अपने-अपने बूथ पर जाकर वोट डालने के लिए कतारबद्ध हो गए। लोग आते गए और मतदाता सूची में अपना नाम व क्रमांक देखकर वोट डालते गए। मतदान को लेकर अबकी बार हर वर्ग व उम्र के लोगों में उत्साह देखने को मिला। वार्ड नं0 14 गोबरिया परशुरामपुर निवासी 74 वर्षीय वृद्धा राधिका देवी भी लोकतंत्र के महापर्व में अपने वोट की आहुति डालने के लिए अपने बूथ पर पहुंची और उनके पौत्र ने मतदाता सूची में राधिका देवी नाम व क्रमांक खोजने लगे तो पता चला कि उनके क्रमांक को डिलीट कर दिया। साथ ही नाम काटने के पीछे राधिका देवी के मृत होना कारण बताया गया है। फिलहाल यह जानकार राधिका देवी व उनके पौत्र हतप्रभ थे और बीएलओ की दलीलें व बातों को सुनकर राधिका देवी वोटर लिस्ट से नाम कटने के कारण निराश होकर अपने घर लौट आयी। इस तरह के कई ऐसे मतदाता रहे, जिनका नाम अलग-अलग वजहों को अंकित कर मतदाता सूची से काट दिया गया था। इससे जहां मतदाताओं में गहरा नाराजगी दिखी, वहीं लोगों ने इसके लिए जिम्मेदार कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की आवश्यकता जताई है।