Young Writer, चंदौली। माह-ए-रमजान के पहले दिन रविवार को रोजेदार ने रोजा रखा। इस दौरान पूरे दिन इबादत और कुरान की तिलावत में जुटे रहे। रमजान के कारण मस्जिदें नमाज अदा करने व इबादत करने वालों से गुलजार हो गई। पूरे दिन रोजा रखने के बाद शाम को मुकर्रर समय पर इफ्तार किया गया। वहीं मुल्क में अमन-चौन की दुआएं मांगी। इसके बाद तरावीह नमाज का सिलसिला चला। शनिवार की रात दो वर्ष बाद मुस्लिम बंधुओं ने मस्जिद में तरावीह की नमाज अदा की, क्योंकि कोविड-19 के चलते मस्जिदों में नमाज पढ़ने की पाबंदियों के कारण दो साल तक मुस्लिम बंधु घर पर ही नमाज अदा कर रहे थे।
शनिवार की शाम चांद दिखने के साथ ही मुबारक रमजान माह शुरू हुआ। वहीं रविवार की भोर में सेहरी करने के साथ ही रमजान माह का पहला असरा भी शुरू हो गया। रोजेदार पूरे दिन मस्जिदों और घरों में कुरान की तिलावत और इबादत करने में जुट गए। रोजा रखने को लेकर बड़ों के साथ-साथ छोटे-छोटे बच्चों में भी काफी उत्साह रहा। बच्चे भी सहरी के समय उठकर रोजा रखने की तैयारी में जुटे रहे। मुफ्ती रिजवान साहब ने बताया कि रमजान माह में कुरान तरावीह ही पढ़कर काम खत्म नहीं हो जाता है। बल्कि सुन्नत तरावीह भी पूरे रमजान माह तक पढ़ना चाहिए। हदीस में आता है कि एक बार कुरान को अल्लाह ने पहाड़ पर उतारा तो पहाड़ ने कहा कि हम इस बोझ को नहीं उठा सकते। दूसरी बार जमीन को सौंपा तो जमीन ने भी उठाने से इंकार कर दिया। तब तीसरी बार अल्लाह ने कुरान इंसान को दिया। इसे इंसान ने अपने सीने में महफूज कर लिया। इसलिए कुरान की अहमियत बहुत ज्यादा है। रमजान माह में कुरान पढ़ना और सुनना अल्लाह को अच्छा लगता है। कहा कि रमजान माह में ही कुरआन शरीफ नाजिल हुआ है। इसलिए रमजान में कुरआन की तिलावत और इबादत का अपना एक अलग महत्व है।