प्रधान व मनरेगा कर्मियों की मिलीभगत से नियम विरूद्ध तरीके से हो रहा कार्य
Young Writer, इलिया। क्षेत्र शहाबगंज के पहाड़ी क्षेत्रों में मनरेगा का कार्य कराने में मनरेगा गाइडलाइन का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। वहीं मनरेगा कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकारी धन का जमकर दोहन भी हो रहा है। इसी तरह का मामला बनभीषमपुर ग्रामपंचायत में देखने को मिला। जहां एक दर्जन कार्य मनरेगा द्वारा किया गया है। जिसमें मुख्य रुप से बरियाडीह बस्ती से राजेश के घर तक नाला खुदाई, अमवाडीह बस्ती से बैरियाडीह तक नाला खुदाई, नहर की खुदाई व डौला निर्माण कार्य, बादल के खेत से नदी तक चकरोड निर्माण कार्य, पम्प कैनाल से मुंसी के खेत तक नाली निर्माण, राजेंद्र के खेत के पास बंधी निर्माण कार्य फाइल पर पूर्ण हो चुका है।
हालांकि जमीन पर इसका अता-पता नहीं है। जबकि अधिकतम कार्यों का भुगतान मनरेगा द्वारा हो गया है। मनरेगा गाइडलाइन में बिना तीन वर्ष हुए उक्त कार्य स्थल पर पुनः कार्य नहीं होगा। जहां कार्य प्रारम्भ होगा उस स्थल का जियो टैग करने के साथ ही बोर्ड लगाना अनिवार्य है। बोर्ड पर वर्क आईडी, कार्य स्थल का नाम, लागत मूल्य व श्रमांश इंगित करना होगा। तकनीकी सहायक, सचिव के साथ ग्राम प्रधान व बीडीओ का नाम भी बोर्ड पर दर्ज होगा। उसके बाद ही कार्य प्रारंभ होगा। कार्य के दौरान 19 मजदूर होने पर आफलाइन मस्टरोल पर हाजिरी भरी जायेगी। उससे अधिक होने पर मोबाइल मानिटरिंग सिस्टम से हाजिरी मनरेगा मजदूरों की होगी। भुगतान के समय मनरेगा फाइल पर कार्यस्थल पर लगे बोर्ड का फोटो अनिवार्य रूप से होना चाहिए, जिससे पता चले की जिस कार्य का भुगतान किया जा रहा है वही है। लेकिन ग्राम प्रधान व तकनीकी सहायक के मिलीभगत से कार्यस्थल पर बोर्ड लगे बिना ही कार्यालय में बैठकर एमबी कर भुगतान करा लिया जा रहा है। गांव के रामप्यारे, रामजी, रवि कुमार, संकठा व राजेन्दर बताया कि गांव में कुछ स्थानों पर मनरेगा से कार्य हुआ है। लेकिन कितना कार्य कराना था। उस बारे में जानकारी नहीं है। कार्यस्थल पर बोर्ड भी नहीं लगा है। बीडीओ दिनेश सिंह ने बताया कि कार्य प्रारंभ होने से पूर्व वहां बोर्ड अनिवार्य रूप से लगा होना चाहिए। यदि बिना बोर्ड लगायें ही भुगतान कराया गया है तो इसकी जांच कर संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जायेगी।