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Saturday, April 20, 2024

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सलाह और चेतावनीः कटाई के बाद फसल अवशेष ना जलाएं अन्नदाता

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चंदौली कलेक्ट्रेट में मुख्य विकास अधिकारी अजितेंद्र नारायण की अध्यक्षता में हुई फसल अवशेष व पराली प्रबंधन

Young Writer, चंदौली। मुख्य विकास अधिकारी अजितेंद्र नारायण की अध्यक्षता में फसल अवशेष व पराली प्रबंधन के संबंध में कृषि पंचायती राज सिंचाई एवं अन्य संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक की। बैठक में पूर्व में आयोजित किसान दिवस में प्राप्त किसानों की एक-एक समस्याओं शिकायतों पर चर्चा करते हुए अविलंब समाधान किए जाने के निर्देश दिए गए।
इस दौरान फसल अवशेष प्रबंधन पर चर्चा करते हुए बताया कि विगत कुछ वर्षों में कृषक मजदूरों की कमी था विशेषकर धान एवं गेहूं की कंबाइन से कटाई, मड़ाई होने के कारण अधिकांश क्षेत्रों में कृषकों द्वारा फसल अवशेष को जलाए जा रहे हैं। जिसके कारण वातावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ मिट्टी की पोषक तत्वों की अत्यधिक क्षति होती है साथ ही मिट्टी की भौतिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। कहा कि जनपद में प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर कृषि विभाग एवं राजस्व विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारियों द्वारा फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाए इसके अलावा फसल अवशेष यंत्र के बारे में बताएं, ताकि कृषक बंधु उसका उपयोग करें और अपनी खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाएं। इसके अलावा पराली जलाने पर अर्थदंड की जानकारी दी। कृषकों को उपलब्ध कराई जाए बताया जाए या कानूनन अपराध है। कहा कि जनपद में संचालित समस्त कंबाइन हार्वेस्टर मालिकों को नोटिस देकर अवगत कराया जाए की कंबाइन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा रीपर अथवा पैडी स्ट्रा चांपर का प्रयोग किया जाना अनिवार्य होगा उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित होगी। इसके अलावा हार्वेस्टर को किया जाएगा सीज। जनपद में पराली अवशेष को ना जलाने की प्रचार वाहन के माध्यम से पराली जलाने से होने वाले नुकसान एवं पराली जलाने पर अर्थदंड की कार्रवाई से अवगत कराया जाए। बाजारों में वॉल पेंटिंग वॉल पेंटिंग कराकर स्लोगन के माध्यम से किसानों को जागरूक अधिक से अधिक किया जाए। जनपद स्तर पर प्रगतिशील कृषकों माननीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में पराली जलाने से होने वाले नुकसान एवं पराली प्रबंधन करने से होने वाले लाभों की जागरूकता के लिए गोष्ठी का आयोजन समय-समय पर सुनिश्चित किया जाए। यंत्रों पर विशेष अनुदान दिया जाएगा।

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