Young Writer, चंदौली। जिले में विश्व मलेरिया दिवस पर मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार और स्वास्थ्य केंद्रों पर आयोजन हुआ। इसमें लोगों को मलेरिया के बारे में जागरूक किया गया। साथ ही उन्हें इस रोग से बचाव व त्वरित उपचार की जानकारी दी गई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में आयोजित गोष्ठी के बाद जागरूकता रैली निकाली गयी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वाईके राय ने रैली को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया।
इसके पूर्व गोष्ठी में सीएमओ ने कहा कि हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य मकसद है कि मच्छर जनित रोगों में शामिल मलेरिया की गंभीरता के प्रति लोग जागरूक हों। उन्होंने बताया कि विश्व मलेरिया दिवस मनाने का फैसला वर्ष 2007 में डब्ल्यूएचओ के 60वें सम्मेलन में प्रस्ताव पारित कर लिया गया था। जिला मलेरिया अधिकारी पीके शुक्ला ने बताया कि संचारी रोगों के नियंत्रण के लिए जिले में व्यापक तैयारियां की गई हैं। इसके तहत जिला स्तरीय अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर मलेरिया की जांच की सुविधा उपलब्ध है। साथ ही मलेरिया को लेकर लोगों में व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। पीके शुक्ला ने बताया कि मलेरिया का मच्छर सामान्यतः शाम और सुबह के बीच काटता है। यह बीमारी मादा मच्छर एनोफीलिज के काटने के कारण होती है। अगर मलेरिया का संक्रामक मच्छर काट लेता है तो स्वस्थ मनुष्य में 10 से 14 दिन बाद यह रोग विकसित होता है। सहायक मलेरिया अधिकारी राजीव सिंह ने कहा कि मलेरिया निरीक्षकों की टीम जिले में मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए संबंधित विभागों और सामुदायिक योगदान के जरिये अभियान में जुटी हैं। समुदाय के लोगों की सहायता और सतर्कता से मलेरिया से बचाव किया जा सकता है। मलेरिया से बचाव के लिए बदन को ढ़कने वाले कपड़े जरूर पहने। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें। घर के आसपास जलजमाव वाली जगहों को मिट्टी से भर दें। जलजमाव वाले स्थान पर केरोसिन तेल या डीजल डालें। घर के आस-पास नाले की साफ सफाई करते रहे।
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लक्षण दिखने पर कराएं जांच
चंदौली। मलेरिया के संभावित लक्षण वाला बुखार होने पर व्यक्ति को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर जाए। खून की जांच में मलेरिया निकलने पर डॉक्टर की सलाह पर ही दवा लेनी चाहिए। सीएचसी एवं पीएचसी सहित सभी स्वस्थ्य इकाइयों पर इसकी जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध होती है।