Young Writer, डीडीयू नगर। भारतीय रेल संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाने वाली रेलवे सुरक्षा बल में तोंद वाले जवान नहीं रहेंगे। विशेष कर 55 वर्ष की आयु पूरी कर चुके अथवा 30 वर्ष नौकरी पूरी कर चुके जवानों का फिटनेस टेस्ट होगा। यदि फिटनेस में फेल होने पर तीन माह का समय दिया जाएगा। इसके बाद भी उनकी तोंद कम नहीं होने पर उनसे वीआरएस लिया जाएगा। इस सूचना आरपीएफ कर्मचारियों में हड़कंप मच गया
गौरतलब हो कि रेलवे बोर्ड ने फुर्तिले और काम करने वाले आरपीएफ जवानों की जरुरत को काफी महसूस किया है। काफी मंथन के बाद रेलवे बोर्ड के निर्देश पर यह पहल शुरू किया गया। अन्य जोनों में इस पर कार्य शुरू हो चुका है।अब डीडीयू मंडल में इस पर कार्य शुरू हो चुका है। रेलवे सुरक्षा बल अर्द्धसैनिक बल मानी जाती है। रेलवे की संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी आरपीएफ पर होती है। यही नहीं अब तो आरपीएफ रेलवे में अपराधों की रोकथाम और मानव, नशीले पदार्थ की तस्करी आदि रोक में भी अहम भूमिका निभाती है। बावजूद इसके आरपीएफ के जवान अपने फिटनेस पर कम ध्यान देते हैं। विशेष कर यार्ड में काम करने वाले और कार्यालयों में काम करने वाले जवानों के तोंद निकल आए हैं। ऐसे में ये लोग दौड़ भाग भी अच्छे से नहीं कर पाते हैं। इसको देखते हुए भारतीय रेल में फिटनेस चेकअप की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके तहत दो वरिष्ठ मंडल सुरक्षा अधिकारी, वरीय कार्मिक अधिकारी के साथ अधिकारियों की टीम जवानों के साथ मीटिंग करेंगे। सामूहिक मीटिंग में फिटनेस की जांच की जाएगी। जवानों को उठक बैठक कराकर, दौड़ाकर देखा जाएगा कि वह फिट है कि नहीं। यदि जवान का तोंद निकला दिखा। कमर अधिक चौड़ी दिखी अथवा कमजोर दिखा तो शुरूआत में उसे तीन माह का समय दिया जाएगा, ताकि वह फिट हो सके। इसके बाद भी वह फिट नहीं हो पाता है तो उससे वीआरएस दिया जाएगा। यदि जवान वीआरएस नहीं लेता है तो उसे नौकरी से जबरन हटा दिया जाएगा। इस बाबत आरपीएफ के वरीय सुरक्षा आयुक्त जेथिन बी राज ने बताया कि रेलवे सुरक्षा बल के उपर रेल संपत्ति के सुरक्षा की जिम्मेदारी है। जब जवान स्वयं अनफिट रहेंगे और मोटी तोंद वाले होंगे। तब वे भाग दौड़ कैसे कर पाएंगे। यही नहीं जवानों को शारीरिक स्वस्थ रहने के साथ इमानदार भी रहना होगा। इसी वजह से फिटनेस जांच की शुरूआत की जा रही है। जल्द ही इसके लिए कैंप लगाया जाएगा।