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Friday, November 22, 2024

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26 साल बाद भी जिले को नही मिला उसका हक चंदौली से दिल्ली तक पदयात्रा करेंगे अधिवक्ता

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डिस्ट्रिक्ट डेमोक्रेटिक बार सभागार में पत्रकारों से रूबरू होते अधिवक्ता।

प्रदेश का नहीं बल्कि पूरे देश का सबसे अभागा जनपद है चंदौली
चंदौली। संयुक्त बार के आह्वान पर जिला न्यायालय एवं जिला मुख्यालय निर्माण संघर्ष समिति के आंदोलन के 8वें दिन, रविवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत डिस्ट्रिक्ट डेमोक्रेटिक बार सभागार में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई। जिसके माध्यम से संयुक्त बार की तरफ से पत्र-प्रतिनिधियों को यह अवगत कराया गया कि चंदौली जिले का निर्माण आज के 26 साल पूर्व वर्ष-1997 में हुआ था। लेकिन इन 26 सालों में जिले को उसका हक नहीं मिला जिसके लिए अधिवक्ता बार-बार संघर्ष करते रहे। बावजूद इसके हर बार जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों द्वारा झूठा आश्वासन देकर जिले की जनता के साथ विश्वासघात किया जाता रहा। इन 26 सालों में जिले के किसी भी अधिकारी के पास अपना आवास नहीं है। यह प्रदेश का नहीं बल्कि पूरे देश का सबसे अभागा जनपद है। जिसकी कोई सुधि लेने वाला नहीं है। इसके साथ के सृजित जनपद लगभग 10 वर्ष पूर्व ही अपने पूर्ण अस्तित्व को प्राप्त कर चुके हैं। इसके बाद के बने जनपद भी लगभग पांच वर्ष पूर्व अपने पूर्ण अस्तित्व को प्राप्त कर चुके है। ऐसे में चंदौली के साथ इतना अन्याय क्यों हो रहा है। यह देश का पहला ऐसा जनता है। जहां जिला मुख्यालय पर नगर पंचायत है। और उसकी तहसील नगर पालिका। पंडित कमलापति त्रिपाठी के बाद इस जिले में ऐसा कोई जनप्रतिनिधि नहीं हुआ। जिसने जिले के विकास के बारे में सोचा, बल्कि वर्तमान जनप्रतिनिधि पंडित कमलापति त्रिपाठी द्वारा किए गए विकास को भी यहां से मिटाने पर तुले हैं। यहां तक की ये जिनते जनप्रतिनिधि हैं। चाहे वो सांसद हो या विधायकगण हों। इन लोगों ने सदन में एक मिनट भी जिले की दुर्दशा को बताने का प्रयास नहीं किया। यही नहीं जिला मुख्यालय के विकास के लिए प्रयासरत अधिवक्ताओं को मुख्यमंत्री व शासन से दूर रखने का हरसंभव प्रयास किए ताकि चंदौली विकास में बाधा बरकरार रहे। जिला न्यायालय के लिए अधिवक्ताओं के अथक प्रयास की वजह से 26 सालों में किसी तरह जमीन मिल पायी। अब निर्माण में जान-बूझकर विलंब किया जा रहा है। जिसके लिए अधिवक्ता फिर आंदोलित हैं। अधिवक्ताओं ने बताया कि जनप्रतिनिधि आगामी सात दिनों में अपनी स्थिति स्पष्ट करें कि वह चंदौली जिला मुख्यालय के विकास के साथ हैं। या उसके खिलाफ। बार एसोसिएशन उनसे अनुरोध करता है। कि आने वाले सात दिनों में शासन व हाईकोर्ट स्तर से जिला न्यायालय के लिए लंबित प्रक्रिया को पूर्ण कर निर्माण कार्य शुरू कराएं। साथ ही जिला मुख्यालय पर जिन सरकारी दफ्तरों की जमीन आवंटित है। उनका भी यथाशीघ्र निर्माण प्रारंभ करा दें। यह भी आग्रह किया कि अगर हमारे क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि चाहे तो मुख्यमंत्री से बात कर सारी दिक्कतों को दूर करने की पहल कर सकते हैं। हमें यह विश्वास है कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद जिला न्यायालय के निर्माण के साथ ही मुख्यालय के विकास को गति मिल जाएगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो अधिवक्ता विवश होकर अपने जनप्रतिनिधियों को मृतप्राय मान लेंगे और इनके अंतिम संस्कार की सभी प्रक्रिया पूरे विधि-विधान के साथ सम्पन्न कराएंगे। जिसमें सर्वप्रथम बुद्धि-शुद्धि यज्ञ, इसके बाद शवयात्रा निकाली जाएगी और प्रतीकात्मक रूप से शवदाह भी किया जाएगा। इसके उपरांत दसवां और तेरही का भी कार्यक्रम चंदौली कचहरी में सम्पन्न होगा। फिर भी जनप्रतिनिधियों की चेतना जागृत नहीं होती है। तो अधिवक्ता गया श्राद्ध भी करेंगे। उसके बाद भी अगर ये जनप्रतिनिधि जिले के विकास को सुनिश्चित नहीं करते हैं तो अधिवक्ता समाज चंदौली से दिल्ली तक पदयात्रा कर इनकी करनी को राष्ट्रीय पटल पर रखेगा। इस दौरान डिस्ट्रिक्ट डेमोक्रेडिट बार के अध्यक्ष जेपी सिंह, सिविल बार महामंत्री अनिल सिंह, पूर्व महामंत्री जन्मेजय सिंह, वीरेंद्र सिंह छोटे, सत्येंद्र कुमार, फिरोज खान, आदि उपस्थित रहे।

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