चंदौली। विश्व हिंदू महासंघ संगठन के पदाधिकारी द्वारा बुधवार को गोरखनाथ मठ के ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की पुण्यतिथि श्रद्धापूर्वक मनाई गई। लोगों में प्रसाद वितरण कर उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लिया गया।
इस दौरान विश्व हिंदू महासंघ के जिला प्रभारी व आदित्य मैटरनिटी एवं नर्सिंग होम के डायरेक्टर पंकज पांडेय ने कहा कि महंत अवेद्यनाथ को अपनी मां का नाम याद नहीं रह गया था। क्योंकि जब वह बहुत छोटे थे, तभी उनके माता पिता की अकाल मृत्यु हो गई थी। वह दादी की गोद में पल रहे थे। उच्चतर माध्यमिक स्तर तक शिक्षा पूर्ण होते ही दादी की भी मृत्यु हो गई। उनका मन इस संसार के प्रति उदासीन होता गया और उसमें वैराग्य का भाव भरता गया। वह अपने पिता के एकलौते पुत्र थे। उन्होंने अपनी सम्पत्ति दोनों चाचा को बराबर बांट दिया और वैराग्य ले लिया। किशोर अवस्था में उन्होंने बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्तरी, यमुनोत्री आदि तीर्थ स्थलों की यात्रा की, कैलाश मानसरोवर की यात्रा से वापस आते समय अल्मोड़ा में उन्हें गंभीर बीमारी हो गया था। जब वे अचेत हो गए तो साथी उन्हें उसी दशा में छोड़ कर आगे बढ़ गए। तबीयत ठीक हुई तो महंत जी अमरता के ज्ञान की खोज में भटकने लगे। इसी दौरान उनकी मुलाकात योगी निवृत्तिनाथ से हुई। और उनके योग, आध्यात्मिक दर्शन तथा नाथ पंथ के विचारों से महंत जी प्रभावित होते चले गए। उस समय अवेद्यनाथ तक सिर्फ ब्रह्मचारी संत थे। नाथ पंथ में अभी दक्ष नहीं थे। योगी निवृत्तिनाथ के साथ रह कर ही महंत जी ने तत्कालीन गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ के बारे में सुना जो योगी निवृत्तिनाथ को चाचा कहते थे। कार्यक्रम में ओमप्रकाश सिंह, रुद्रा कुमार पाठक, रतन श्रीवास्तव, रमेश सिंह, शिवम् सिंह आदि लोग मौजूद रहे।