Young Writer, नौगढ़। दुर्गा मंदिर परिसर मे आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथावाचिका शालिनी त्रिपाठी ने बताया कि मन की चिंता को चिंताहरण पर छोड़कर इंसान को ईश्वर पर विश्वास अडिग रखना चाहिए। कथा रूपी गंगा में स्नान करने से मन पवित्र होता है। मनुष्य के पाप ताप संताप का हरण संत करते हैं। मनुष्य शरीर पाना दुर्लभ है। सत्संग मिल रहा है मन लगा लिया तो मोक्ष निश्चित है। संत दर्शन से पाप टलता है। उपदेश को जीवन में मंथन करने पर पाप का समूल नष्ट हो जाता है।
महाभारत में कौरवों की संख्या 100 होने पर भी उनका समूल नष्ट हुआ, जबकि भगवान मे अगाध निष्ठा से पांडव विजेता बने। मां ब्रह्मचारिणी का जीवन वृत सुनाते हुए कहा कि राजा हिमांचल को पुत्री रत्न की उत्पत्ति होने पर महामुनि नारद राजदरबार मे पहुंच गये।जहां पर महारानी मैना ने पुत्री की जन्मकुंडली देखने की जिज्ञासा प्रकट की। महामुनि नारद ने बताया कि पुत्री मे अनेकों गुण है, जो कि सुंदर सहज सुशील व सयानी होगी। पर जिससे विवाह होगा वह अगुन अमान मात पिता हीन होगा। जिसे सुनकर मैना रानी दुःखी हो गयी और मां पार्वती मुस्कुराने लगी। भगवान शिव के सभी अवगुण ही उन्हें महादेव बनाते हैं। अमान वही होगा जिसमें अभिमान नहीं हो। दोष अंश में होता है अंशी मंे नहीं। रवि पावक सुरसरी सदैव शुद्ध है। भगवान शिव को पति रूप मे पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तप किया। प्रभु श्रीराम चन्द्र ने भगवान भोलेनाथ को माता सती की कथा सुनाकर दक्षिणा में विवाह करने का वचन मांगा। महिलाओं को बताया कि माता पिता व गुरु की आज्ञा से जो भी पति रूप में मिले उसका अवगुण कभी भी नहीं देखना चाहिए। इस अवसर पर भगवानदास अग्रहरी, पंकज जायसवाल, प्रभुनारायण, डा.सुनील कुमार, सत्यनारायण, संदीप, राजू पाण्डेय, सोनू जायसवाल, मालिक गोड़, शिवनारायण, पारसनाथ खरवार, अनिल विश्वकर्मा, अनिल कुमार मौजूद रहे।