राज्यसभा सासंद निर्वाचन में क्रास वोटिंग के बाद चंदौली टिकट की हो सकती है समीक्षा
शमशाद अंसारी, Young Writer
Chandauli: राज्यसभा सासंद चुनाव में क्रास वोटिंग के बाद समाजवादी इस अप्रत्याशित हार को दुरूस्त करने के लिए समीक्षा के मूड में है। जिस तरह सपा राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव के तल्ख व तीखे बयान सामने आएं हैं उससे जाहिर है कि सपा बागियों के परे कतरने में गुरेज नहीं करेगी। साथ ही लोकसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे व बांटे गए टिकटों की भी समीक्षा करेगी। यदि ऐसा हुआ तो समीक्षा की सूची में चंदौली लोकसभा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह भी शामिल होंगे। क्योंकि इन्हें दल बदलने में महारथ हासिल है जैसा कि इनका राजनीतिक रिकार्ड बता रहा है। राजनीतिक रणनीतिकारों की माने तो सपा इस विषम परिस्थिति में जिताऊ उम्मीदवार की जगह टिकाऊ उम्मीदवार पर दांव लगाने को प्राथमिकता देगी, ताकि फिर से उसे अपने दगा न दें।
हाल ही में सम्पन्न हुए राज्यसभा निर्वाचन के बाद समाजवादी पार्टी जिस राजनीतिक संकट से गुजर रही है उसने लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर ब्रेक लगा दिया है। पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक यानी पीडीए के नारे के साथ लोकसभा चुनाव में रण जीतने की तैयारी में जुटे उनके अपने ही विधायकों ने राज्यसभा सांसद निर्वाचन में दगाबाजी कर क्रास वोटिंग की, जिससे सपा का तीसरा राज्यसभा सांसद प्रत्याशी हार गया। इस घटना के बाद बागी विधायकों के कृत्य से सपा का शीर्ष नेतृत्व बेहद खफा और आक्रोश में है। ऐसी घटना लोकसभा चुनाव-2024 के पहले और बाद में न हो इसे लेकर समाजवादी पार्टी इसकी समीक्षा और तैयारियों में जुटी है। यही वजह है कि सपा के उम्मीदवारों की अगली सूची जारी नहीं हुई।
विश्वस्त सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अब तक जो भी टिकट सपा ने बांटे हैं उन्हें भी अपने भरोसे व विश्वसनीयता की कटौती पर सपा कसेगी। साथ ही यह भी परखेगी कि जिन्हें पार्टी अपना चेहरा बना रही है वह पीडीए विरोधी मानसिकता का ना हो। जैसा कि राज्यसभा सांसद के निर्वाचन के दौरान पार्टी ने देखा। फिलहाल ऐसा कुछ भी होने की दशा में चंदौली लोकसभा का राजनीतिक समीकरण कभी भी बदल सकता है। क्योंकि सपा के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह भी भरोसे की कसौटी पर कसे जाएंगे और उनकी उम्मीदवारी पर सपा विचार कर सकती है। यदि ऐसा हुआ तो उनका अब तक राजनीतिक इतिहास ही उनकी उम्मीदवारी के आड़े आ खड़ा होगा। क्योंकि वह पहले भी कांग्रेस, बसपा जैसी पार्टियों की परिक्रमा कर चुके हैं। यहां तक की उन्होंने सपा का दामन एक बार पहले भी छोड़ा था। ऐसे में फिर नहीं छोड़ेंगे? इस सवाल की समीक्षा सपा का शीर्ष नेतृत्व जरूर करेगा। साथ ही पीडीए के प्रति उनके आस्थावान होने की भी समीक्षा होने की संभावनाओं से कत्तई इन्कार नहीं किया जा सकता।
यदि ऐसा हुआ तो चंदौली के दिग्गज सपाइयों का चंदौली लोकसभा से टिकट पाने की उम्मीदों को एक बार फिर पंख लगेंगे। ऐसे में चंदौली के दिग्गज और अपने पसीने से समाजवादी पार्टी को सींचने वाले पूर्व सांसद रामकिशुन यादव के डूबने राजनीतिक कैरियर को तिनके का सहारा मिल सकता है। साथ ही सैयदराजा के पूर्व विधायक और सपा के फायर ब्रांड नेता मनोज सिंह डब्लू की उम्मीदवारी फिर से जीवंत हो उठेगी, क्योंकि उन्होंने कुछ सालों से पार्टी की विचारधारा के अनुरूप कड़ा संघर्ष किया और जेल जैसी यातनाएं भी झेली। फिलहाल सबकुछ अभी समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के पाले में है। लेकिन राज्यसभा निर्वाचन में हुई क्रास वोटिंग से चंदौली प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह के टिकट के विरोध को बल मिला है और स्थानीय नेता उनके दल बदलने के स्वभाव को उनके खिलाफ पूरी ताकत व शिद्दत के साथ इस्तेमाल करने में जुटे हैं।