Chandauli: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने बीते 21 मार्च को भुक्तभोगी अमरजीत सिंह की ओर से धारा-156(3) के तहत प्रस्तुत लोन कराने के नाम पर धोखाधड़ी करने के मामले की सुनवाई करते हुए प्रार्थना-पत्र को स्वीकार किया। कोर्ट ने अपने आदेश में प्रभारी निरीक्षक चंदौली को निर्देशित किया कि वे संबंधित मामले में प्रार्थना-पत्र के आलोक में सुसंगत धाराओं में एफआईआर पंजीकृत नियमानुसार विवेचना करना सुनिश्चित करें।
पीड़ित अमरजीत सिंह ने प्रार्थना-पत्र के जरिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत को अवगत कराया कि उनके दूर के रिश्तेदार अमन सिंह जो बैंक का लोन वसूली का कार्य करते थे। अपने कार्य में सहयोग के लिए कुछ अन्य लोगों को भी साथ रखे थे। लगभग 7-8 माह पूर्व अमन सिंह ने उनसे बैंक आफ इंडिया शाखा चंदौली के सीसी एकाउंट के लोग को जोनल आफिस से माफ कराने की बात कही और 108300 रुपये की मांग की। बातों पर विश्वास करते हुए अमरजीत सिंह ने एक मई 2023 को 108300 रुपये नकद दे दिया। इसके बात अमन सिंह ने बैंक की जमा रसीद दी। कहा कि रुपये जमा हो गए हैं और लोन माफ हो गया है। कुछ दिनों बाद अमन सिंह ने कहा कि पत्नी सुनैना के नाम बैंक से 25 लाख रुपये का डेयरी पर लोन कराने की बात कही और बताया कि 38 प्रतिशत धनराशि माफ हो जाएगा तथा शेष धनराशि पर ब्याज नहीं देना होगा, जिस पर प्रार्थी सहमत हो गया और सारे कागजात अमन सिंह को दे दिए।
कुछ दिनों बाद बैंक का पेपर देते हुए अमन ने बताया कि लोन मंजूर हो गया, जिसे स्वीकृत कराने में दो लाख रुपये खर्च हुए हैं। पैसा देंगे तो लोन की धनराशि आपके खाते में आ जाएगी। ऐसे में अलग-अलग तिथियों को 108000 रुपये अमन सिंह को दिया, लेकिन लोन का पैसा नहीं आया। कहा कि कुछ दिनों बाद जब बैंक के सीसी एकाउंट के लोन के बाबत सूचना मिली तो बैंक जाकर पता किया। तब यह बात मालूम चली कि न तो लोन माफ हुआ है न ही बैंक में रुपया जमा हुआ है। अमन सिंह ने जो रसीद दे थी वह फर्जी है। इसी तरह अमन सिंह ने गांव के विकास कुमार सिंह से डेयरी लोन मंजूर कराने के नाम पर 253000 रुपये ले लिया है। उक्त प्रकरण से चंदौली कोतवाली व पुलिस अधीक्षक को अवगत कराया गया, लेकिन कार्यवाही नहीं हुई। प्रकरण को सुनने के बाद न्यायालय ने तथ्यों व परिस्थितियों को दृष्टिगत प्रार्थना-पत्र को स्वीकार करते हुए चंदौली कोतवाली को एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही करने का आदेश दिया है। पीड़ित की ओर से अधिवक्ता राकेश त्रिपाठी ने पक्ष रखा।