Young Writer, चंदौली का जलवायु Fall Armyworm के लिए अनुकूल होने के कारण विगत कुछ वर्षों से फाल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप देखा जा रहा है। यह कीट एक बहुभोजी कीट है जो मक्का के साथ-साथ अन्य फसलों जैसे-ज्वार, बाजरा, धान, गेहूँ तथा गन्ना आदि फसलों को भी भारी क्षति पहुंचा सकता है। इसलिए इस कीट की पहचान एवं प्रबंधन की सही जानकारी कृषकों को होना अत्यन्त आवश्यक है।
इस कीट की मादा ज्यादातर पत्तियों की निचली सतह पर अंडे देती है, कभी-कभी पत्तियों की ऊपरी सतह एवं तनों पर भी अंडे दे देती है। इसकी मादा एक से ज्यादा पर्त में अंडे देकर सफेद कीटमल से ढक देती है। अंडे हल्के पीले (क्रीम कलर) या भूरे रंग के होते हैं। फाल आर्मी वर्म सामान्य सैनिक कीट से भिन्न है। इसका सूँड़ी भूरे, धूसर रंग की होती है तथा इसके पार्श्व में तीन पतली सफेद धारियों और सिर पर उल्टा अंग्रेजी अक्षर का वाई दिखता है।
शरीर के दूसरे अंतिम खण्ड पर वर्गाकार चार गहरे बिन्दु दिखाई देते है तथा अन्य खण्डों पर चार छोटे-छोटे बिन्दु समलम्ब आकार में दिखते है। इस कीट की प्रथम अवस्था सूंडी (लार्वा) सर्वाधिक हानिकारक होती है। सामान्यतः यह कीट बहुभोजी होता है लगभग 80 फसलों पर अपना जीवन चक्र पूरा कर सकता है, जिसमें मक्का, बाजरा, ज्वार, धान, गेहूँ एवं गन्ना प्रमुख है, परन्तु मक्का इस कीट की रुचिकर फसल है। चारा, शाक, सूर्यमुखी, बन्दगोभी, फूलगोभी आदि फसलों को भी क्षति पहुँचा सकता है। यह कीट फसल की लगभग सभी अवस्थाओं में हानि पहुँचाता है।
Fall Armyworm कीट से बचाव के लिए ऐसे करें प्रबंधन
चंदौली। इन कीटों से बचाव के लिए फसल की नियमित निगरानी एवं सर्वेक्षण करें। प्रकोप की दशा में जनपद के विभागीय अधिकारियों को तत्काल सूचित करें। प्रकोप दिखाई देने पर सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली के व्हाट्सएप नम्बर 9452247111 एवं 9452257111 पर फोटो खींचकर भेजे जिसका समाधान 48 घण्टे के अन्दर किया जायेगा। अण्ड परजीवी जैसे ट्राइकोग्रामा प्रेटिओसम अथवा टेलीनोमस रेमस के 50000 अण्डे प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने से इनकी संख्या की बढ़ोत्तरी में रोक लगायी जा सकती है। यांत्रिक विधि के तौर पर सांयकाल (7 से 9 बजे तक) में 3 से 4 की संख्या में प्रकाश प्रपंच एवं 8 से 10 की संख्या में बर्ड पर्वर प्रति एकड़ लगाना चाहिए। फाल आगी वर्म के अण्डे इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए।