Young Writer, चंदौली। क्षेत्र के माटी गांव के प्रगतिशील कृषक कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के सहयोग से वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन कर रहे हैं। इसको व्यवसाय के रूप में अपनाकर केचुआ खाद को मृदा संजीवनी नाम से न केवल जिले में बल्कि वाराणसी और बिहार के जिलों में बिक्री कर अच्छी आय कर रहे हैं।
कृषक मोहम्मद अख्तर जिले के किसानों को वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनके यहां भी उत्पादन का कार्य शुरू कर दिया गया है। वह जिले के डेवढ़िल, धानापुर, वरंगा, कुल्हड़िया, बबुरी, भोजापुर, डम्हरिया आदि गांवों में कृषकों के यहां वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन यूनिट स्थापित करा चुके हैं। इससे कृषक अपनी मृदा की गुणवत्ता में सुधार व केचुआ खाद की बिक्री कर अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। मोहम्मद अख्तर ने बताया कि एक बिस्वा में पांच बेद्यड बन जाते हैं। एक बेड से लगभग 900 किलोग्राम कम्पोस्ट खाद मिल जाती है। वहीं 8-10 रुपये प्रति किलो की रेट से बिक जाती है।
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक रितेश गंगवार ने बताया कि केंद्र के वैज्ञानिक समय-समय पर मोहम्मद अख्तर को जानकारी देते रहते हैं। जिले के अन्य बेरोजगार नवयुवक भी इस दिशा में आगे आकर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। वैज्ञानिक अभयदीप गौतम ने कहा कि जनपद के अन्य किसान कृषि संबंधित विभिन्न रोजगार परख प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से लेकर अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिले के अन्य किसानों को इससे सीख लेने की आवश्यकता है। मोहम्मद अख्तर किसानों को वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन की तकनीकी जानकारी देने के साथ ही उन्हें उचित मूल्य पर केचुआ उपलब्ध कराते हैं। साथ ही किसानों को उनके उपयोग से ज्यादा उत्पादन को उचित मूल्य पर खरीद भी लेते हैं।