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Saturday, July 27, 2024

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Robertsganj Loksabha : खुद के इतिहास को दोहरा पाएंगे पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार?

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बदलाव की बयार में दल बदलकर इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी बने छोटेलाल

शमशाद अंसारी
Young Writer, चंदौली। इतिहास एक बार फिर खुद को दोहराता हुआ नजर आ रहा है। राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र से पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार को समाजवादी पार्टी से टिकट मिलने के बाद इस बात की चर्चाएं सुर्खियों में रही। पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार का भाजपा छोड़कर सपा में इंट्री और टिकट की रेस में तमाम दिग्गजों को पछाड़कर उनकी जीत यह संकेत दे रहा है कि एक बार फिर छोटेलाल खरवार के संसद जाने का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। फिलहाल अभी बहुत कुछ होना शेष है, लेकिन जिस तरह से उन्होंने 2014 में बदलने राजनीति परिदृश्य को भांप कर भाजपा में छलांग लगाई और टिकट लेकर सीधे संसद पहुंच गए। एक बार फिर बदलाव की बयार में उनका सपा में वापसी और टिकट कंफर्म होना उन्हीं राजनीतिक समीकरण को दोहराता हुआ नजर आ रहा है। फिलहाल परिस्थितियां छोटेलाल खरवार के अनुरूप बनती दिख रही है, लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। फिलहाल इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी बनने के बाद उन्हेें बधाई देने वालों का तांता लगा रहा।

विदित हो कि छोटेलाल खरवार की ख्याति व पहचान लोकगीत गायक के रूप में हुआ करती थी और जब वे अपने लोकगीत व कला से प्रसिद्धी प्राप्त किए तो उसे आधार बनाते हुए 2005 में अपने पैतृक गांव मंगरही से ग्राम प्रधानी का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके साथ ही उन्होंने देश की सबसे छोटी मगर सशक्त पंचायत के मुखिया के तौर पर पांच वर्ष का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया। ग्रामीणों के हित में किए गए काम और अपनी ख्याति के साथ एक बार फिर उन्होंने वर्ष 2010 में पंचायत चुनाव लड़ा और प्रधान निर्वाचित हुए।

उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा जागृत हुई तो वे नौगढ़ ब्लाक से जिला मुख्यालय चंदौली पहुंचे और उन्होंने समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की। उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर समाजवादी पार्टी ने उन्हें सांस्कृतिक प्रकोष्ठ का जिलाध्यक्ष बना दिया। इसके साथ ही उन्होंने अपने राजनीतिक कौशल को निखारा और संवारा। साथ ही अपने राजनीतिक पहचान को विस्तार देते हुए लखनऊ व दिल्ली तक पहुंच बनाने में सफल रहे। इसी बीच केंद्र की सत्ता में परिवर्तन की लहर और देश में बदलते राजनीतिक मौसम को उन्होंने काफी पहले भांप लिया और भाजपा से टिकट लेकर मोदी लहर में अपनी जीत को सुनिश्चित करने में सफल रहे। इस तरह दल बदलकर उन्होंने ग्राम प्रधान से सीधे सांसद तक का सफर तय किया। उन्होंने जिस वक्त यह ख्याति और उपलब्धि अर्जित की उनके गांव मंगरही में जश्न का माहौल रहा। सामान्य परिवार से संसद तक का सफर तय करना बिल्कुल भी आसान नहीं था, लेकिन छोटेलाल खरवार ने सही समय पर सही निर्णय लेकर अपने राजनीतिक कैरियर को ऊंचाईयां प्रदान की।

विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि छोटेलाल खरवार का अपने गांव-इलाके और अपनी बिरादरी में अच्छी पकड़ है और लोग उनसे खासा लगाव भी रखते हैं। जो लोकसभा चुनाव में उनकी जीत का आधार बना। शायद यही वजह रही होगी कि समाजवादी पार्टी ने उनके विरादरी के वोटरों की संख्या, स्थानीय पकड़ व कुशल राजनीतिक कौशल को देखते हुए अन्य लोगों की उम्मीदवारी पर भाजपा छोड़कर आए पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार को तरजीह दी। समाजवादी पार्टी ने तमाम समीकरणों को ध्यान में रखकर अपना दांव चल दिया है। ऐसे में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार छोटेलाल खरवार को इस दांव को सही साबित करना का एक सुनहरा अवसर है। अब देखना यह है कि क्या इतिहास खुद को फिर से दोहराता है या फिर अबकी बार परिणाम कुछ अलग होगा। फिलहाल सबकुछ भविष्य की गर्त में छिपा है, लेकिन इसे लेकर लोगों में खूब चर्चाएं हैं।

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