जिम्मेदार अधिकारियों के नाक के नीचे किया जा रहा है भ्रष्टाचार
Young Writer, इलिया। शहाबगंज विकास खण्ड के अन्तर्गत ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी व झोल किया जा रहा है। यदि वजह है कि ग्राम पंचायत अपने विकास कार्यों से ज्यादा मनरेगा में हुई गड़बड़ियों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। ताजा मामला शहाबगंज के ग्राम पंचायत नौडिहा का है, जहां ग्राम पंचायत में दो आईडी चल रही थी, जिसमें 182 श्रमिकों का मस्ट्रोल जारी किया गया था।
आईडी संख्या 3171008023/एलडी /958486255824514564 नौडीहा में शिव चरन के खेत से ओपी के खेत तक चकरोड निर्माण कार्य जिसपर 123 श्रमिक थे दूसरी आईडी संख्या 3171008023/एलडी/958486255824549898 पर नौडीहा में मिथुन के खेत से लाल मोहन के खेत तक चकरोड निर्माण कार्य पर 59 श्रमिकों का व तीसरे आईडी संख्या 3171008023/एलडी/958486255824549899 पर नौडीहा में अजय पाहुन के खेत से भट्टा तक मेढ़ बन्दी का कार्य पर 54 श्रमिकों का मस्ट्रोल जारी कर ऑनलाइन एनएमएस 11अप्रैल से 24 अप्रैल तक व चकरोड निर्माण कार्य का फर्जी ऑनलाइन एनएमएस दिनांक 28 अप्रैल से 11 मई तक किया जा रहा था। जब कि कार्यस्थल पर एक भी मनरेगा श्रमिक कार्य नही कर रहे थे सिर्फ ऑनलाइन एनएमएस का कार्य चल रहा था। जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में आईडी संख्या 3171008023/एलडी/958486255823913697 पर मचवल में मैनवास के खेत से पुनवासी के खेत तक चकरोड निर्माण कार्य पर लगभग ’286272 रुपये’ खारिज किया गया था।
उस कार्य पर ही वित्तीय वर्ष ’2024 – 25’ में उक्त कार्य का नाम बदल कर ग्राम पंचायत नौडीहा में शिव चरन के खेत से ओपी के खेत तक चकरोड निर्माण का कार्य दिखा कर बगैर कार्य का ही फर्जी एमबी दिखा कर के लगभग ’336303 रुपये’ का भुगतान, नौडीहा में मिथुन के खेत से लाल मोहन के खेत तक चकरोड निर्माण पर लगभग ’182490 रुपये’ का भुगतान व अजय पाहुन के खेत से भट्टा तक मेढ़ बंदी पर लगभग ’178224 रुपये’ का भुगतान कर दिया गया है। अब सवाल यह उठता है कि जब ग्राम पंचायत नौडीहा स्तिथ दोनों चकरोडो व मेढ़ बंदी पर काम हुआ ही नही तो मनरेगा वेबसाइट पर भुगतान की फीडिंग कैसे हो गई? प्रथम दृष्टया जो मौके की स्तिथि है उसे देख कर यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि चकरोड निर्माण का कार्य धरातल पर न हो कर के ऑनलाइन की गई है, जिससे सरकारी धन का भरपूर दुरुपयोग कीया जा सके। वहीं ग्राम पंचायत के उन गरीब मजदूरों को काम से वंचित कर दिया गया है जो मनरेगा योजना के तहत मजदूरी कर के अपने परिवार का आजीविका चलाते है। साथ ही चकरोड निर्माण का कार्य हुआ ही नही जिसके होने से ग्रामीणों को आने जाने में सहूलियत मिलती। लेकिन सरकारी धन के दुरुपयोग व बंदरबाट की मंशा के लिए किये गए झोल के कारण ग्राम पंचायत को विकास से वंचित रखा गया है।
मनरेगा योजना में हो रहे भ्रष्टाचार का जिम्मेदार कौन
इलिया। इसमें सबसे बड़ा जिम्मेदार ग्राम पंचायत में नियुक्त तकनीकी सहायक हैं, जो पहले ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्तावित कार्य पर स्टीमेट बनाता हैं। उसके बाद रोजगार सेवक की जिम्मेदारी होती हैं। वह स्टीमेट बने कार्य के साइड पर कार्य कराकर हाजिरी लगाने की है। उसमें रोजगार सेवक द्वारा कागजों में प्रस्तावित कार्य पर बिना कार्य कराए फर्जी मनरेगा मजदूरों की हाजिरी लगाना शुरू करता है। जो कभी भी मनरेगा योजना से हो रहें साइड पर कार्य करने नहीं जाते केवल वह कागज़ी आंकड़ों में मजदूरी करते, उन्ही की फर्जी हाजिरी लगती है, वही जब काम कम्पलीट हो जाता तो फर्जी लगे हाजिरी के मुताबिक पंचायत में नियुक्त तकनीकी सहायक द्वारा बिना साइड पर गए आफिस में बैठें बैठें एमबी कर भुगतान के लिए पंचायत सचिव के टेबल से फाइल होते हुए ठक्व् आफिस तक पहुंचती हैं और उस फ़ाइल का भुगतान हो जाता हैं। इस तरह सरकारी धन का बंदरबाट मनरेगा योजना में जमकर हो रहा है। उक्त के बाबत जानकारी लेने के लिए जब एपीओ संदीप बट्स को फोन किया गया तो उनका फोन रिसीव नही हुआ।