Young Writer: चंदौली जनपद में विभिन्न पारिस्थितिकी संसाधनों द्वारा कीट रोग नियंत्रण योजना के अंतर्गत तकनीकी कर्मचारियों और कृषकों का एक दिवसीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सदर विकास खण्ड में किया गया। उक्त कार्यक्रम में जिला कृषि रक्षा अधिकारी विनोद कुमार यादव ने किसानों को एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन आईपीएम की महत्ता के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ राघवेन्द्र सिंह ने आई पी एम में जैविक विधियों को अपनाकर फसलों की सुरक्षा के बारे मे बताया। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ अभय डीप ने घन जीवामृत, ब्रह्मास्त्र आदि के बारे में किसानों को विस्तार से बताया। साथ ही साथ उन्होंने बताया कि कीड़ों एवं बीमारियों को उनके आर्थिक हानि स्तर से नीचे रखने के लिए सभी उपलब्ध नियंत्रण विधियों जैसे व्यवहारिक, यांत्रिक, अनुवांशिक, जैविक व रासायनिक नियंत्रण का प्रयोग करना चाहिए।
वरिष्ठ प्राविधिक सहायक रमेश सिंह यादव ने फसल की बुवाई से लेकर कटाई तक हानिकारक कीड़ों, बीमारियों तथा उनके प्राकृतिक शत्रुओं की लगातार एवं व्यवस्थित निगरानी रखने की सलाह दी। कीड़ों एवं बिमारियों के आर्थिक हानि स्तर (ईआईएल) को पार कर लेने पर सुरक्षित कीटनाशकों को सही समय पर सही मात्रा में प्रयोग करना। कृषि उत्पादन में कम लागत लगाकर अधिक लाभ प्राप्त करने तथा साथ साथ वातावरण को प्रदूषण से बचाना के संबंध में जानकारी दी। इस दौरान राकेश चंद्र पांडेय, विजय बहादुर सिंह,मनोज सिंह, उमाकांत मौर्य, राज कुमार, दिलावर सिंह , रामविजय, लक्षमन, कुलदीप, अनिरुद्ध व अन्य तथा रंकज सिंह , उमाकांत, मुक्तेश्वर आदि मौजूद रहे।