Young Writer, चंदौली। अपर सत्र न्यायाधीश व फास्ट ट्रैक कोर्ट-प्रथम चंदौली की अदालत ने बलात्कार, डकैती जैसे गंभीर धाराओं में निरूद्ध आरोपी की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए जमानत पर रिहा किए जाने का आदेश दिया है। उक्त मामले में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता शफीक खान ने तथ्य एवं तर्क प्रस्तुत किया। इसके अलावा अदालत ने जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी के तर्कों को सुना और पुलिस प्रपत्र, एफआईआर व केस डायरी का अवलोकन करते हुए आरोपी शाकिर अंसारी उर्फ रिन्कू की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया।
अपर सत्र न्यायाधशी एवं फास्ट ट्रैक कोर्ट-प्रथम चंदौली ने विचारण के दौरान पाया कि धारा-161 सीआरपीसी के बयान में पीड़िता ने कथन किया है कि उसे 26 जून 2024 को अपनी मां को सूचना दिया, उससे तीन दिन पूर्व से अभियुक्त आजाद खां उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता रहा व 29 जून 2024 को आपसी सुलह समझौते की बात थाने पर बतायी गयी। वहीं प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार घटना 26 जून 2024 की है। घटना की सूचना पीड़िता द्वारा अपनी मां को दिनांक 29 जून 2024 को दी गयी।
तत्पश्चात उभयपक्षों में सुलह हो गयी। फिर 05 अगस्त 2024 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी। इस प्रकार प्रथम सूचनारिपोर्ट एवं वादिनी के बयान में घटना की तिथि में भिन्नता है। इसके अलावा प्रथम सूचना रिपोर्ट व वादिनी के बयान बयान अंतर्गत धारा-161 व 164 सीआरपीसी में अभियुक्त शाकिर अंसारी उर्फ रिंकू पर केवल पीड़िता को मोटरसाइकिल से बैठाकर ले जाने का कथन किया गया है। अभियुक्त के विरूद्ध पीड़िता से बलात्कार किए जाने का कोई कथन नहीं किया गया है।
न्यायालय दोनों पक्षों की दलीलें व तर्कों को सुनने के बाद साक्ष्यों के अवलोकन के उपरांत अभियुक्त शाकिर अंसारी उर्फ रिंकू की जमानत याचिका स्वीकार कर ली। अभियुक्त को 50 हजार रुपये के व्यक्तिगत बंधपत्र एवं इसी धनराशि के व्यक्तिगत बंधपत्र और इसी धनराशि के दो प्रतिभू दाखिल करने पर मजिस्ट्रेट की संतुष्टि पर जमा पर रिहा करने का आदेश दिया है। साथ ही यह भी शर्तों निर्धारित की है कि जमानत पर बाहर आने के बाद अभियुक्त मुकदमे के विचारण के दौरान न्यायालय में स्वयं या अपने अधिवक्ता के जरिए उपस्थित होकर विचार में सहयोग करेगा। इसके अलावा आरोपित अपराध के समान किसी अन्य अपराध में संलिप्त नहीं होगा और ना ही इस मामले से जुड़े किसी व्यक्ति को न्यायालय या पुलिस के समक्ष साक्ष्यों को प्रस्तुत न करने के लिए डराने-धमकाने जैसा कृत्य नहीं करेगा। साथ ही न्यायालय की अनुमति के बिना देश से बाहर नहीं जाएगा।