चंदौली। जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से बेपटरी हो चुकी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां तैनात चिकित्सक व चिकित्सा स्टाफ दो फाड में बंट गए हैं। इनके बीच आपसी समन्वय नहीं होने के कारण अस्पताल में उपलब्ध सेवाओं से मरीजों व तीमारदारों को वंचित रखा जा रहा है। यहां तक की जिला अस्पताल के प्रमुख सीएमएस डा. सत्य प्रकाश को भी अस्पताल में कौन सी सेवा उपलब्ध है इसकी सही व सटीक जानकारी नहीं है। ताजा मामला गुरुवार का है। जिला अस्पताल के आकस्मिक चिकित्सा वार्ड में तैनात चिकित्सक ने आकस्मिक चिकित्सा वार्ड के गेट पर वार्ड में बेड फुल होने की नोटिस चस्पा कर दी। इसके बाद धड़ाधड़ एक के बाद एक कई मरीज जो अस्पताल पहुंचे, उनकी पर्ची में नो बेड इन वार्ड लिखकर अस्पताल से लौटा दिया। दिलचस्प यह कि उक्त नोटिस जिस वार्ड इंचार्ज के हवाले से चस्पा की गई, उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। मामला संज्ञान में आने व वार्ड इंचार्ज की आपत्ति के बाद फौरन नोटिस को हटाया गया।
दरअसल जिला अस्पताल के इमरजेंसी गेट पर बेड फुल होने की नोटिस चस्पा कर दी गई, जिसे वार्ड इंचार्ज सरंधा राय के हवाले से चस्पा किया गया था, जो फर्जी निकली। उक्त मामले से पर्दा उस वक्त हटा जब हसनपुर निवासी रामदुलार यादव अपना दवा-ईलाज कराने अस्पताल पहुंचे। पूछताछ के बाद पता चला कि जिला अस्पताल के वार्ड में बेड की कोई समस्या नहीं है। ऐसे में अब वार्ड इंचार्ज से उक्त नोटिस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने ऐसी किसी भी सूचना को चस्पा करने से साफ इन्कार कर दिया। मामले का खुलासा होने पर आकस्मिक चिकित्सा वार्ड में तैनात चिकित्सक द्वारा आनन-फानन में नोटिस को फाडकर हटवा दिया गया। लेकिन तब तक करीब आधा दर्जन से ज्यादा मरीज रेफर किया जा चुके थे जो स्वास्थ्य महकमें और इमरजेंसी विभाग के कार्य प्रणाली पर बड़े सवाल खड़े करते हैं। आरोप है कि इन दिनों जिला अस्पताल के चिकित्सक बेड का खेल भी शुरू कर दिए हैं, जिस कारण गुरुवार को अस्पताल में उपचार कराने आए हसनपुर निवासी रामदुलार यादव समेत कई मरीजों को भर्ती करने से इन्कार करते हुए लौटा दिया।
इनसेट—
मेरी जानकारी के बगैर लगी थी नोटिसः वार्ड इंचार्ज
चंदौली। बेड फुल होने की नोटिस चस्पा होने के प्रकरण में जब वार्ड इंचार्ज (मेल वार्ड) सरंधा राय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामला मेरी जानकारी में नहीं है। उक्त सूची के बाबत आकस्मिक चिकित्सा वार्ड में तैनात चिकित्सक से बात की गई। फिलहाल उक्त नोटिस को हटा दिया गया है। बताया कि जिला अस्पताल में 96 बेड मरीजों को आवंटित है, जबकि चार बेड अभी भी खाली है। वहीं सीएमएस डा.सत्यप्रकाश ने बताया कि मरीजों के आने जाने के क्रम में बेड फूल और खाली होते रहते है। यह वार्ड इंचार्ज और इमरजेंसी विभाग जाने। इस बाबत मुझे कोई जानकारी नहीं है। वहीं मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल अमित सिंह ने फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझा।
इनसेट—-
तकलीफ के बाद भी चिकित्सक से वापस लौटायाः रामदुलार
चंदौली। चहनियां ब्लाक के हसनपुर गांव निवासी रामदुलार यादव 60 वर्ष ने बताया कि दो महीने से उनकी तबियत खराब चल रही है। अपना दवा-इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल आया था, जहां चिकित्सक ने अस्पताल में भर्ती करने की संस्तुति की, लेकिन जब इमरजेंसी कक्ष में गया तो वहां चिकित्सक ने मेरे पर्ची पर लिख दिया कि अस्पताल के वार्ड में बेड खाली नहीं है। बताया कि मुझे काफी तकलीफ है। बीमारी की वजह से चलने फिरने में असमर्थ हूं। इसके बावजूद भी मुझे अस्पताल में भर्ती करके उपचार करके की बजाय वापस लौटा दिया। जिला अस्पताल लोगों की सुविधा के लिए बनाया गया है, लेकिन यहां तैनात चिकित्सक व चिकित्सा स्टाफ के गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। यही वजह है कि मजबूरी में अब बाहर इलाज के लिए जाना पड़ेगा।