यात्रियों को ट्रेन में चढ़ाने के लिए आरपीएफ जीआरपी के छूटा पसीना
Young Writer, DDU Nagar: जोधपुर से आरा पहुंचने के लिए तीन ट्रेन बदलने पड़े। तीन रात जागा लेकिन ट्रेन में बैठने की जगह तो दूर ढंग से खड़े रहने की जगह भी नहीं मिल रही है। यह व्यथा है जयपुर से बक्सर तक की यात्रा कर रहे जयवीर सिंह की। जो सिकंदराबाद दानापुर एक्सप्रेस में सवार थे। कहा कि छठ पर घर पहुंचना आवश्यक है। यह सिर्फ जयवीर सिंह की कहानी नहीं है बल्कि ट्रेन में सवार अन्य यात्रियों की भी यही स्थिति है। डाला छठ के पूर्व डाउन की ट्रेनों में अत्यधिक भीड़ जुटी। भीड़ को संभालने में आरपीएफ जीआरपी और वाणिज्य विभाग के अधिकारियों के भी पसीने छूट रहे हैं।
सूर्याेपासना का पर्व चार दिवसीय डाला छठ को अत्यंत कठिन व्रत माना जाता है। यही कारण है कि महानगरों में रहने वाले लोग किसी हाल में घर पहुंचना चाहते हैं। यात्रियों की भीड़ को देखते हुए रेलवे ने छठ पूजा स्पेशल ट्रेनों को चला रही है लेकिन यात्रियों की भीड़ के आगे सारी कवायद फेल नजर आ रही है। रविवार को पीडीडीयू जंक्शन पर यात्रियों की गहमा गहमी दिखी। स्थिति यह है कि डाला छठ व्रत करने से भी कठिन महानगरों से घर पहुंचना हो गया है। दिल्ली, मुंबई, सिकंदराबाद, सूरत से घर पहुंचने के लिए यात्री कठिन परीक्षा दे रहे हैं। रविवार को दोपहर में ढाई बजे से डाउन हरिद्वार हावड़ा कुंभ एक्सप्रेस एक नंबर प्लेटफार्म पर पहुंची। ट्रेन के पहुंचते ही चढ़ने उतरने वालों की आपा धापी दिखी। स्थिति यह रही कि स्लीपर में गेट पर चढ़ना मुश्किल रहा। कोच संख्या एस-12 में एक महिला लगातार ट्रेन पर चढ़ने के लिए मिन्नत करती रही लेकिन गेट पर बैठे युवक हटने का नाम नहीं ले रहे थे। हो हल्ला के बाद वे हटे और महिला चढ़ी लेकिन अंदर भीड़ देखकर वह स्वयं ही नीचे उतर आई। इसी वक्त प्लेटफार्म संख्या दो पर सिकंदराबाद दानापुर एक्सप्रेस पहुंची। इसमें भी यही स्थिति दिखाई दिया।